‘Kidney disease spreading due to uncontrolled diabetes and BP’ | “अनियंत्रित डायबिटीज व BP से फैल रही किडनी की बीमारी”: प्रयागराज में जुटे जाने-माने किडनी रोग विशेषज्ञ, बढ़ रही किडनी की बीमारी पर हुआ मंथन – Prayagraj (Allahabad) News


AMA (इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन) की ओर से रविवार को IMA-CGP का आयोजन किया गया। म्योहाल चौराहा स्थित AMA सभागार में हुए इस कांफ्रेंस में नामचीन नेफ्रोलाजिस्ट यानी किडनी रोग विशेषज्ञ शामिल हुए । इसमें बढ़ रहे किडनी रोग व उसके इलाज पर मंथन किया गया।

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सेमिनार मे 2 ओरेशन हुए जिसमें, डॉ. वीके अग्रवाल ओरेशन एसजीपीजीआई के पूर्व निदेशक एवं नेफ्रेलॉजी विभाग, मेदांता लखनऊ के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. आरके शर्मा द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा, CKD मरीजों में गुर्दे ठीक से काम नहीं करते हैं, जिससे रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं और शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं। इससे हृदय और पाचन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता हैं। गुर्दे के खराब होने से पाचन तंत्र में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे मधुमेह, इंसुलिन प्रतिरोध, और अन्य पाचन विकारों का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा, अनियंत्रित डायबिटीज व ब्लड प्रेशर से किडनी की बीमारी तेजी से फैल रही है।

16वें एनुअल रीफ्रेशर कोर्स का उद्घाटन करते पदाधिकारी व डॉक्टर।

16वें एनुअल रीफ्रेशर कोर्स का उद्घाटन करते पदाधिकारी व डॉक्टर।

पहले से तैयार पैक्ड खाद्य पदार्थों से करें परहेज : डॉ. अमित

एसजीपीजीआई व विभागाध्यक्ष नेफ्रोलॉजी अपोलो मेडिक्स लखनऊ, डॉ. अमित गुप्ता ने डॉ. केएस नियोगी ओरेशन में किडनी रोगों में आहार की उपयोगिता बताई। कहा “प्रोटीनयुक्त भोजन कम मात्रा में खाएं, अक्सर ताज़ा खाना खाएं, सोडियम (नमक का एक हिस्सा) सुपरमार्केट या रेस्तरां में खाये जाने वाले कई तैयार या पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है। तैयार भोजन, जमे हुए भोजन और डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ खाने के बजाय खाना खुद ही पकाएं, क्योंकि इनमें सोडियम की मात्रा अधिक होती है। जब आप अपना भोजन खुद बनाते हैं, तो आप नियंत्रित करते हैं कि उसमें क्या डाला जाए। जमे हुए भोजन और अन्य सुविधाजनक खाद्य पदार्थों के कम सोडियम वाले संस्करणों का प्रयोग करें। डिब्बा बंद सब्जियां, फल, मांस और मछली को खाने से पहले पानी से धो लें।”

विभिन्न शहरों से आए डॉक्टरों को AMA की ओर से सम्मानित किया गया।

विभिन्न शहरों से आए डॉक्टरों को AMA की ओर से सम्मानित किया गया।

प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना जरूरी

वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. धर्मेंद्र भदौरिया ने किडनी से संबंधित बीमारियों के परीक्षण संबंधित अपने व्याख्यान में बताया की गुर्दे की बीमारी से पीड़ित रोगी के प्रति दृदृष्टिकोण में, सबसे पहले उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी इकट्ठा करना और फिर उनके विशिष्ट लक्षणों और जटिलताओं के अनुसार उपचार योजना बनाना महत्वपूर्ण है। इसमें रक्त और मूत्र परीक्षण, इमेजिंग तकनीकें और अन्य नैदानिक जांच शामिल हैं।

SGPGI की प्रोफेसर डाॅ. अनुपमा कौल ने गर्भावस्था और किडनी रोगों के विषय में अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया “गर्भावस्था के दौरान CKD वाली महिलाओं में समय से पहले प्रसव, प्रीक्लेम्पसिया, और बच्चे का कम वजन ,उच्च रक्त चाप होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराते रहें, खासकर यदि आपको पहले से ही किडनी की बीमारी है, प्रेगनेंसी के दौरान रक्तचाप को नियंत्रित रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनियंत्रित रक्तचाप किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।”

पर्याप्त पानी पीकर मूत्र मार्ग बाहर निकलेगा बैक्टीरिया

डाॅ. जेया कुमार मेयप्पन व डॉ. अरुण कुमार ने भी व्याख्यान दिया। डॉ. अरूण ने कहा “मूत्र मार्ग संक्रमण के नैदानिक प्रबंधन में संक्रमण के प्रकार के आधार पर एंटीबायोटिक्स, पर्याप्त तरल पदार्थ, और स्वच्छता का ध्यान रखना शामिल है। जटिलता रहित यूटीआई के लिए, छोटे कोर्स का एंटीबायोटिक्स (1-3 दिन) दिया जा सकता है, जबकि गंभीर मामलों में, अस्पताल में भर्ती होने और अंतःशिरा एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता हो सकती है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बैक्टीरिया को मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे संक्रमण जल्दी ठीक हो जाता है। प्राइवेसी पार्टस को साफ-सुथरा रखना और टॉयलेट के बाद ठीक तरह से सफाई करना संक्रमण को रोकने में मदद करता है। गर्म पानी की सिकाई करने से दर्द और जलन में आराम मिल सकता है। दही और अन्य प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से अच्छे बैक्टीरिया बढ़ते हैं, जो UTI को ठीक करने में मदद करते हैं।”

किडनी प्रत्यारोपण के बाद देखभाल जरूरी

नई दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल से आए प्रोफेसर संजीव गुलाटी ने किडनी प्रत्यारोपण पर व्याख्यान दिया। बताया कि “किडनी प्रत्यारोपण के लिए, मरीज को गुर्दे की बीमारी के अंतिम चरण में होना चाहिए। डायलिसिस पर होना चाहिए और प्रत्यारोपण के बाद दवाएं लेने और अन्य देखभाल निर्देशों का पालन करने में सक्षम होना चाहिए। इसके अलावा मरीज को अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में होना चाहिए और मजबूत सामाजिक समर्थन भी होना चाहिए।” आगरा से आए प्रो. अपूर्व जैन हाइपोनेट्रेमिया पर अपना व्याख्यान दिया।

सेमीनार का संचालन वैज्ञानिक सचिव डाॅ.अनुभा श्रीवास्तव, डॉ. पारूल सक्सेना, डाॅ. पल्लवी निगम व डाॅ. सौम्या गुप्ता ने किया। सचिव डाॅ. आशुतोष गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डाॅ. विनीता मिश्रा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन किया गया।

इसके पहले उद्घाटन सेमीनार के मुख्य अतिथि डाॅ. अशोक सिंह द्वारा किया गया। विशिष्ट अतिथि एसजीपीजीआई के पूर्व निदेशक प्रोफेसर डॉ. आरके शर्मा तथा डॉ. अमित गुप्ता रहे। इस दौरान AMA के अध्यक्ष डाॅ. जेवी राय, पूर्व अध्यक्ष डाॅ. कमल सिंह, प्रेसीडेंट इलेक्ट डाॅ. अशोक कुमार मिश्रा, डाॅ. अभिनव अग्रवाल, डाॅ. राजेश मौर्या व डाॅ. सुनील सिंह आदि रहे।



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