Ayodhya. Ayodhya’s Hanumangarhi Akhara will remain away from controversies | विवादों से दूर रहेगा अयोध्या का हनुमानगढ़ी अखाड़ा: अब तपस्वी छावनी के विवाद में नहीं पड़ेगा अखाड़ा, व्यक्तिगत व्यवहार निभाना अलग बात – Ayodhya News
धर्म सम्राट महंत ज्ञानदास के हनुमानगढ़ी स्थित आवास पर अखाड़ा के महंतों ने बैठक की।
अयोध्या का हनुमानगढ़ी अखाड़ा विवादों से पूरी तरह दूरी बनाए रखेगा। अब तपस्वी छावनी के विवाद में अखाड़ा सामने नहीं आएगा।यदि कोई संत इसमें सहयोग करता है तो वह उसका व्यक्तिगत व्यवहार होगा।यह अखाड़े की सामूहिक जिम्मेदारी नहीं होगी।यह संकल्प धर्म सम्राट महंत ज
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बैठक की अध्यक्षता अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा के श्री महंत मुरली दास ने की।वे हनुमानगढ़ी की हरिद्वारी पट्टी के महंत भी है।बैठक में महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी और संकट मोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत संजय दास,बसंतिया पट्टी के महंत रामचरण दास,निर्वाणी अखाड़ा के महासचिव सत्यदेव दास,राजेश पहलवान और हनुमानगढ़ी के वरिष्ठ पुजारी हेमंत दास प्रमुख रूप से शामिल रहे।
बैठक के बाद निर्वाणी अखाड़ा के श्री महंत मुरली दास ने कहा कि वैष्णव पीठ होने के कारण हनुमानगढ़ी अखाड़ा ने पहले तपस्वी छावनी के विवाद में जगदगुरु परमहंसाचार्य का साथ दिया।हम आजीवन इस विवाद में उनका साथ अब नहीं दे सकते हैं। हमने उनको महंत बना दिया अब उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। हमें हनुमानगढ़ी के मान-सम्मान को सर्वोपरि बनाए रखना है।
महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने कहा कि जहां तक हनुमानगढ़ी अखाड़ा का मसला हो हम सब एक हैं और एक ही रहेंगे।तपस्वी छावनी के विवाद में पड़ना हनुमानगढ़ी अखाड़ा की प्रतिष्ठा के लिए कतई उचित नहीं लग रहा है।इसलिए हम सब ने बहुत सोचकर यह निर्णय लिया है।जगदगुरु परमहंसाचार्य का सहयोग कोई व्यक्तिगत व्यवहार में कर सकता है। पर इसे अखाड़ा का सामूहिक सहयोग कतई नहीं माना जाना चाहिए।
महंत संजय दास की बात का बसंतिया पट्टी के महंत रामचरण दास ने भी पूरी तरह समर्थन किया।
निर्वाणी अखाड़ा के महासचिव सत्यदेव दास ने कहा कि हम हमेशा धर्म और सत्य का ही साथ देंगे।हनुमानगढ़ी को लेकर कोई गलत काम में साथ लेने की कतई नहीं साचे।हम कतई गलत का साथ नहीं देने वाले हैं। हरिद्वारी पट्टी के राजेश पहलवान ने कहा कि हनुमानगढ़ी को विवाद में लपेटना अच्छी बात नहीं है।एक बार तपस्वी छावनी में विवाद में परमहंसाचार्य का समर्थन कर दिया गया। अब वे खुद अपना मामला समझें।