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बच्चों की परवरिश, आर्थिक परेशानियां और सामाजिक दबाव, हर ओर से मुश्किलें सामने थीं. लेकिन रूबी ने हालात से हार मानने के बजाय अपने जीवन को नई दिशा देने का फैसला किया.

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हरी सब्जी खेती 

हाइलाइट्स

  • रूबी ने पति के निधन के बाद खेती से आत्मनिर्भरता पाई.
  • 12 सालों से हरी सब्जियों की खेती कर सालाना 5 लाख रुपये कमा रही हैं.
  • रूबी गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं.

सीतामढ़ी:- बिहार के शिवहर जिले के धनकौल बलहा गांव की रहने वाली महिला रूबी आज पूरे इलाके में एक मिसाल बन चुकी है. करीब 13 साल पहले जब उनके पति का निधन हुआ, तो जिंदगी अचानक चुनौतियों से भर गई. बच्चों की परवरिश, आर्थिक परेशानियां और सामाजिक दबाव, हर ओर से मुश्किलें सामने थीं. लेकिन रूबी ने हालात से हार मानने के बजाय अपने जीवन को नई दिशा देने का फैसला किया.

अनुभवी किसानों से ली सलाह
उन्होंने अपने पति के हिस्से की जमीन को अपनी ताकत बनाया और खेती की राह पर आगे बढ़ीं. शुरू में संसाधनों और अनुभव की कमी ने उन्हें परेशान जरूर किया, लेकिन उन्होंने स्थानीय कृषि अधिकारियों और अनुभवी किसानों से सलाह लेकर धीरे-धीरे सब कुछ सीखा.

पिछले 12 सालों से रूबी हरी सब्जियों की खेती कर रही हैं और अब उनकी सालाना आमदनी लगभग 5 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है. उनके खेतों में गोभी, टमाटर, मटर, भिंडी, बैगन, करेला और शिमला मिर्च जैसी कई मौसमी सब्जियों की अच्छी पैदावार होती है.

अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत
इस समय उनके खेतों में बैगन, भिंडी और लहसुन की फसल लगी है, जबकि गोभी और परवल की फसल तैयार होने वाली है. रूबी न केवल अपने परिवार का अच्छी तरह से भरण-पोषण कर रही हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं. उनकी सफलता यह साबित करती है कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो कोई भी मुश्किल इंसान को रोक नहीं सकती. महिला रूबी आज आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान की सशक्त पहचान बन चुकी हैं.

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पति के हिस्से की जमीन को बनाई अपनी ताकत, अब खेती की राह में आगे बढ़ी रूबी



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