Vat-Savitri Puja today, married women will pray for the long life of their husbands | वट सावित्री पूजा आज: सुहागिनें करेंगी पति की दीर्घायु की कामना, दांपत्य जीवन की खुशहाली का जानें शुभ मुहूर्त – Kanpur News



दांपत्य जीवन में खुशहाली और पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं आज वट सावित्री व्रत करेंगी। हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर यह त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि वट वृक्ष में सृजन और विस्तार के देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता हैं, इसलिए

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शोभन योग का बन रहा संयोग

ज्योतिषाचार्य पीएन द्विवेदी ने बताया कि इस बार वट पूजा की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति है, लेकिन यह सोमवार को ही मनाया जाएगा। 26 मई को व्रत रखा जाएगा। अमावस्या तिथि सुबह 10:54 से शुरू होगी और पूरे दिन रहेगी। इस तिथि पर भरणी नक्षत्र के अलावा शोभन योग का संयोग बना रहा है।

यह है पूजा का शुभ मुहूर्त

पति की दीर्घायु की कामना के लिए पहला मुहूर्त सुबह 11:51 से दोपहर12:46 बजे तक रहेगा। वहीं दूसरा मुहूर्त 3:45 से 5:28 तक रहेगा। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष का पूजन और व्रत कर अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस अमावस्या पर उग्र ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए सप्त अनाज (गेहूं,जौ,दालें,चना, तिल,चावल,मक्का) का दान करें। बरगद की जड़ों में गंगा जल अर्पित करने से ग्रहों की अनुकूलता के साथ जीवन की बाधाएं हटती हैं और सृजनात्मक शक्ति बढ़ती है।

पहली पूजा का होता विशेष महत्व

ज्योतिषाचार्य नितिशा मल्होत्रा के मुताबिक नव विवाहिताओं के लिए मायके से आया लहंगा या लाल रंग की साड़ी में पहली बार पूजा करना शुभ माना जाता है। वट वृक्ष की पूजा में खरबूजे का अलग ही महत्व है। विवाहित महिलाओं को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। जिन महिलाओं को मांगलिक दोष है या अन्य प्रकार की जीवनसाथी संबंधी दोष है तो उन्हें अवश्य पूजा करनी चाहिए।

बरगदाही अमावस्या भी कहा जाता

वट सावित्री व्रत को बहुत जगह बरगदाही अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास माना जाता है। मां सावित्री भी वट वृक्ष में निवास करती हैं। ऐसा माना जाता है कि कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्कंडेय ऋषि को वट वृक्ष में ही दर्शन दिए थे। इसी वजह से हमारे धर्म शास्त्रों में वट वृक्ष का पूजन अत्यंत शुभ माना गया है।



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