The ‘third eye’ of the police is the village chowkidar | पुलिस की ‘तीसरी आंख’, है गांव के चौकीदार: हाईकोर्ट ने कहा- ग्राम चौकीदारों या होमगार्ड सेवा शर्तों में समान वेतन के हकदार नहीं – Prayagraj (Allahabad) News
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम चौकीदारों को पुलिस या होमगार्ड के बराबर वेतन देने की मांग खारिज करते हुए कहा है कि चौकीदारों को ‘पुलिस बल की तीसरी आंख’ माना जा सकता है, लेकिन सेवा शर्तों के अनुसार वे समान वेतन के हकदार नहीं हैं।
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कोर्ट ने कहा कि वेतन और सेवा शर्तों में बदलाव सरकार का विषय है। जब तक पारिश्रमिक साफ तौर पर मनमाना, भेदभावपूर्ण या बेगार जैसा न हो, तब तक न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने आगरा जिले के लवकुश तिवारी समेत 1486 ग्राम चौकीदारों की याचिका पर दिया गया है।
याचिका में ग्राम चौकीदारों की 1987 से सेवा में होने और मात्र 2500 रुपये मासिक मानदेय मिलने को अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन बताते हुए पुलिस के समान वेतन की मांग की थी। उनका कहना था कि वे भी पुलिस की तरह ही कार्य करते हैं, इसलिए समान वेतन के पात्र हैं।
सरकारी वकील ने बताया कि चौकीदारों से महीने में दो दिन कार्य लिया जाता है और उन्हें अन्य कार्य करने की स्वतंत्रता है। इसलिए उनका काम पुलिस के समान नहीं है। समान वेतन की मांग उचित नहीं है।
कोर्ट ने सरकार को सुझाव दिया कि वह बदले समय में चौकीदारों की भूमिका पर पुनर्विचार करे और इसे अधिक प्रभावी बनाए।