Workshop on wildlife crime in Mathura | मथुरा में वाइल्डलाइफ अपराध पर वर्कशॉप: मजबूत प्रवर्तन के लिए वन, पुलिस और न्यायपालिका हुए एकजुट,वन विभाग और सामाजिक संस्था ने किया आयोजन – Mathura News
वर्कशॉप में शकील होने आए अतिथि फोटो सेशन के दौरान मंच पर फोटो कराते हुए
न्यायपालिका, वन विभाग, पुलिस और कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों के लगभग 100 अधिकारी वन्यजीव अपराध, जांच और अभियोजन कार्यशाला के दूसरे संस्करण के लिए मथुरा में एकत्रित हुए। जिसका आयोजन वाइल्डलाइफ एसओएस ने उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ साझेदारी में किया। इस व
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दीप प्रज्वलन कर वर्कशॉप का किया शुभारंभ
मथुरा में आयोजित इस कार्यक्रम में पहुंचे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी.डी. सिंह,सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा, विनोद सिंह रावत, प्रमुख सचिव (लॉ) एवं विधि, उत्तर प्रदेश सरकार का आयोजकों द्वारा स्वागत किया गया।औपचारिक स्वागत के बाद अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते अतिथि
कानूनी जानकारी दी गई
वर्कशॉप को संबोधित करते हुए अतिथियों ने कानूनी स्पष्टता, कुशल केस वर्क और अंतर-एजेंसी समन्वय की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। विषयों में साक्ष्य प्रक्रियाओं और परीक्षण में देरी से लेकर वन्यजीव अपराध स्थलों में आधुनिक फोरेंसिक की भूमिका तक शामिल थी। वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने वाइल्डलाइफ एसओएस के फील्ड ऑपरेशन से प्रमुख केस स्टडीज़ प्रस्तुत कीं। जिसमें तस्करी के पैटर्न, प्रवर्तन में कमियों और वन्यजीव आपात स्थितियों के लिए त्वरित कानूनी प्रतिक्रिया के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

वर्कशॉप को संबोधित करते अतिथि
कानूनी हस्तक्षेप बन सकता है जानवरों का मददगार
वर्कशॉप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी.डी. सिंह ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा यह कार्यशाला कानूनी सिद्धांत को क्षेत्र-स्तरीय अनुप्रयोग के साथ जोड़ती है। यह हमारे प्रवर्तन अधिकारियों को जटिल वन्यजीव अपराधों से सहानुभूति और विशेषज्ञता के साथ निपटने के लिए विकसित कानूनी प्रक्रियाओं और व्यावहारिक रणनीतियों पर खुद को अपडेट करने का एक बहुत जरूरी अवसर देता है। सिद्धार्थ लूथरा, वरिष्ठ अधिवक्ता, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा वन्यजीव अपराधों के पीछे क्रूरता और व्यवसायीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करना एक अधिक मानवीय समाज के निर्माण की कुंजी है। इस कार्यशाला ने इस बात पर प्रकाश डालने में मदद की कि हम करुणा को बढ़ावा देते हुए इन मुद्दों पर कानूनी और सामाजिक रूप से कैसे प्रतिक्रिया दे सकते हैं। उन्होंने ऐसे केस उदाहरण साझा किए जो दर्शाते हैं कि कैसे समय पर कानूनी हस्तक्षेप संकट में फंसे जानवरों के लिए वास्तविक अंतर ला सकता है।

अतिथियों ने कहा यह वर्कशॉप वन्यजीव संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
वर्कशॉप में मिला सामूहिक ज्ञान
सरिस्का टाइगर रिज़र्व के निदेशक आईएफएस संग्राम सिंह कटियार ने कहा ऐसे प्लेटफॉर्म हमारी टीमों को वास्तविक दुनिया के प्रवर्तन के लिए बेहतर ढंग से तैयार करते हैं, जिससे उन्हें साक्ष्य प्रबंधन और अभियोजन प्रोटोकॉल के बारे में अधिक आत्मविश्वास मिलता है।वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कार्यशाला में मौजूद सामूहिक ज्ञान और जुनून प्रेरणादायक था। इस कार्यशाला ने वन्यजीव अपराध से लड़ने में सहयोग के महत्व की पुष्टि की।