Hearing on the petition to make a party in Gyanvapi Moolwad today in varanasi Court | ज्ञानवापी मूलवाद में पक्षकार बनाने की याचिका पर सुनवाई आज: लोहता के मुख्तार अंसारी की याचिका पर मसाजिद कमेटी करेगी बहस – Varanasi News


ज्ञानवापी के मूलवाद-1991 में पक्षकार बनाने के लिए लोहता निवासी मुख्तार अंसारी की ओर से अपर जिला जज चौदहवां संध्या श्रीवास्तव की कोर्ट में दाखिल निगरानी अर्जी पर सुनवाई आज होगी। इससे पहले वादी की ओर से केस में शामिल करने की आपत्ति, दलीलों और दावों को

.

मुख्तार अंसारी की ओर से पक्षकार बनने के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र में बताया गया कि वह अपने पिता के साथ ज्ञानवापी परिसर में जुमे की नमाज व अन्य मुस्लिम धार्मिक गतिविधियों में शामिल होते थे। उनको इबादत का कानूनी रूप से मौलिक अधिकार है। पिछले 30 वर्षों से प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड किस प्रकार से मुसलमानों के हितों की रक्षा ठीक प्रकार से नहीं कर पा रहे हैं इसलिए मुझे भी इसमें पैरवी का अवसर प्रदान किया जाए।

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने निगरानीकर्ता को अपना पक्ष रखने का अंतिम अवसर दिया था। निगरानीकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से बहस होने के बाद वे पक्ष रखेंगे। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केवल वादी की बहस आवश्यक है, जिसे आज दोपहर बाद सुना जाएगा।

मुख्तार अंसारी की अर्जी पूर्व में सिविल जज (सीनियर डिविजन) फास्ट ट्रैक की अदालत ने खारिज कर दी थी। इस आदेश के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में निगरानी अर्जी दाखिल की है। उधर, एडीजे-सप्तम की कोर्ट में इसी वाद में वादी रहे स्व. पं. सोमनाथ व्यास के भतीजे योगेंद्रनाथ व्यास की ओर से पक्षकार बनाने की निगरानी अर्जी पर भी सुनवाई अब 31 जुलाई को होगी।

पिछले वर्ष सीनियर डिवीजन में खारिज हो चुकी याचिका

ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े मूलवाद में मुख्तार अंसारी को पक्षकार बनाने की याचिका को एक वर्ष पहले एफटीसी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) प्रशांत सिंह केस में उसे पक्षकार बनाए जाने की बात को गैरजरूरी बताया था, आदेश में कहा कि इस वाद में मुख्तार को पक्षकार बनाने का कोई औचित्य नहीं है।

केस में 30 साल बाद पक्षकार बनने की अपील में कोई कारण भी स्पष्ट नहीं है। लोहता निवासी मुख्तार अहमद अंसारी की ओर से पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र दो जुलाई 2022 को एफटीसी कोर्ट में दिया था। कोर्ट ने कहा कि अब इतने विलंब से प्रस्तुत करने का कोई कारण स्पष्ट नहीं किया गया है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *