A boat runs on the road in the village for four months | गांव में चार महीने सड़क पर चलती है नाव: झांसी के मऊरानीपुर में रास्ते पर भरा है छाती तक पानी, बाढ़ जैसे हालात से जूझ रहे 500 परिवार – Jhansi News
झांसी में मऊरानीपुर तहसील के गांव बचवई के रास्ते पर भरा छाती तक पानी
झांसी जिले की प्रमुख तहसील और विधानसभा क्षेत्र मऊरानीपुर के गांव बचवई में इन दिनों पक्की सड़क पर नाव चल रही है।लगातार हुई बारिश के चलते यहां छाती तक पानी भर चुका है। लगभग 500 परिवारों का ये गांव बाजारों से पूरी तरह कट चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि
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जिला मुख्यालय से मऊरानीपुर के बचवई गांव की दूरी लगभग 67 किलोमीटर है। लेकिन इस गांव में आजतक ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं पहुंचा, जो लोगों को हर साल बारिश में सड़क को दरिया बना देने वाले पानी से निजात दिला सके। ग्रामीणों ने बताया कि जब बारिश होती है तो गांव को मऊरानीपुर से जोड़ने वाला रास्ता बंद हो जाता है। यहां पथराई डैम के गेट बंद रहते हैं तो जलस्तर लगातार बढ़ता है। गांव डैम के पास होने के चलते पानी आमतौर पर कमर तक आ जाता है लेकिन इस बार काफी बारिश हुई तो अभी से यहां जलस्तर बढ़कर छाती तक पहुंच गया। लगभग 500 मीटर के रास्ते पर कई जगह गहराई भी है, यदि वहां से कोई वयस्क भी रास्ता पार करने का प्रयास करे तो वह भी डूब जाएगा। ऐसे में गांव के लोग टायर में लगाने वाले ट्यूब बांधकर ये रास्ता पार करते हैं। दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि अगर सुरक्षित रास्ता चुने तो फिर खेतों और कच्चे रास्ते से पैदल कीचड़ में उतरना पड़ेगा।
रस्सी के सहारे पार कर रहे रास्ता
बचवई गांव के हालात इतने खराब हैं कि यहां से हर दिन लोग जान जोखिम में डालकर काम करने मऊरानीपुर जाते हैं। छाती तक पानी होने के चलते गांव की महिलाएं और बच्चे गांव में ही कैद हैं लेकिन पुरुषों ने पानी से निकलने के लिए दोनों किनारों पर रस्सी बांध रखी है। कई लोग टायर के ट्यूब का सहारा लेकर पानी से पार पा रहे हैं।
सिंचाई के सीजन में ही खुलता है रास्ता
बचवई गांव के लोगों ने बताया कि कहने को तो मऊरानीपुर से गांव को जोड़ने के लिए यह पक्का रास्ता है लेकिन यहां हमेशा पानी बना रहता है। हालांकि, गर्मी के दिनों में कुछ महीने के लिए रास्ता खुल जाता है। बताया कि जब खेतों में सिंचाई का सीजन आता है तो डैम का पानी छोड़ा जाता है। डैम का जलस्तर कम होने से यहां भी पानी उतर जाता है।
स्कूल नहीं जा पा रहे बच्चे
स्थानीय निवासी उमाशंकर बताते हैं कि गांव में 1500 से ज़्यादा की आबादी है। इसमें लगभग सवा सौ बच्चे भी हैं, जो स्कूल जाते हैं। लेकिन रास्ते पर पानी भरा होने के चलते वह स्कूल भी नहीं जा पा रहे। वहीं, अगर किसी की तबियत बिगड़ जाए या कोई गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना हो तो फिर उसे चारपाई पर उठाकर रास्ता पार कराते हैं।
बारिश से पहले करना पड़ता है राशन का इंतजाम
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि यहां रास्ता बंद हो जाने के चलते गांव का संपर्क मऊरानीपुर से पूरी तरह कट जाता है। ऐसे में खाने-पीने का सामान बारिश से पहले लाकर रखना पड़ता है। वह कहते हैं कि जिनके पास पैसा है, वही राशन जुटा लेते हैं। लेकिन गांव में कई परिवार ऐसे हैं, जिन्हें हर सप्ताह गेहूं पिसवाना होता है। रास्ता बंद हो जाने से अब लोग हाथ चक्की से ही आटा पीस रहे हैं।