There will be a hearing again on the merger of primary schools in UP, Lucknow, Uttar Pradesh | प्राथमिक स्कूलों के विलय पर आज HC में सुनवाई होगी: एकल पीठ के फैसले को डबल बेंच में दी गई है चुनौती, अभिभावकों ने जताई है आपत्ति – Lucknow News
प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूलों के विलय को लेकर लिए गए फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। हाईकोर्ट के एकल पीठ द्वारा मामले में सरकार के पक्ष में दिए गए निर्णय को चुनौती देते हुए विशेष अपीलें दाखिल की गई हैं। जिन पर आज मंगलवार
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बच्चों के अभिभावकों ने दाखिल की विशेष अपील
अपीलकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने जानकारी दी कि प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ दो विशेष अपीलें दाखिल की गई हैं। इनमें एक अपील पांच बच्चों की ओर से जबकि दूसरी 17 बच्चों के अभिभावकों द्वारा दाखिल की गई है। अपीलों में हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा 7 जुलाई को दिए गए फैसले को रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें स्कूलों के विलय को लेकर दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं।
एकल पीठ पहले ही खारिज कर चुकी है याचिकाएं
7 जुलाई को न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने इस मामले में सरकार को राहत देते हुए सीतापुर के 51 बच्चों और अन्य याचियों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। याचिकाओं में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 16 जून को जारी उस शासनादेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर प्राथमिक स्कूलों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) के खिलाफ बताया था। उनका कहना था कि विलय की स्थिति में बच्चों को अपने घरों से दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी। खासकर छोटे बच्चों के लिए यह स्थिति असुविधाजनक और असुरक्षित साबित हो सकती है।
जनहित याचिका भी खारिज हो चुकी है
एकल पीठ के फैसले के बाद 10 जुलाई को इस मुद्दे पर दाखिल एक जनहित याचिका को भी खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। इसके बावजूद कुछ अभिभावकों ने डबल बेंच में विशेष अपीलें दाखिल कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, जिन पर आज सुनवाई होनी है।
सरकार ने बताया बच्चों के हित में फैसला
राज्य सरकार ने अदालत में स्पष्ट किया है कि स्कूलों का विलय बच्चों के हित में किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि ऐसे कई स्कूल हैं, जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है। इन स्कूलों को पास के स्कूलों में मिलाकर न सिर्फ शिक्षकों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि संसाधनों का भी उचित वितरण संभव हो सकेगा।
सरकारी पक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है, जिससे बच्चों को बेहतर सुविधाएं और शिक्षण माहौल उपलब्ध हो सकेगा।
आज होगी अहम सुनवाई
अब यह मामला दो जजों की खंडपीठ के समक्ष है, जहां से यह तय होगा कि स्कूलों के विलय को लेकर सरकार का फैसला बच्चों के शैक्षिक अधिकारों के अनुरूप है या नहीं। इस पर आने वाला फैसला राज्य के हजारों प्राथमिक स्कूलों और लाखों विद्यार्थियों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।