Son dies in Algeria…father dies while waiting | अल्जीरिया में बेटे की मौत…इंतजार करते-करते पिता ने दम तोड़ा: कानपुर में पत्नी बोली- मोदीजी आखिरी बार लाश देख लूं, बस यही चाहती हूं – Kanpur News


कानपुर9 मिनट पहले

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‘मेरे पति अल्जीरिया की एक फैक्ट्री में जॉब करते थे। हर रोज वीडियो कॉल करके परिवार की जानकारी लेते थे। एक ब्लॉस्ट ने उनकी जान ले ली। उनकी लाश का इंतजार करते-करते 12 दिन बाद उनके पिता ने भी दम तोड़ दिया।’

यह कहते हुए सुनीता रोने लगती हैं। वह कहती हैं- 17 जुलाई को फैक्ट्री में हुए ब्लॉस्ट में पति घायल हुए, 18 जुलाई को उनकी डेथ हो गई। अचानक उनके दोस्त सुरेश ने हमें अल्जीरिया से कॉल करके बताया। कंपनी से संपर्क करने पर वह सीधे-सीधे कुछ भी नहीं बताते थे। हमारे पिताजी (ससुर) राजेंद्र सिंह तकरीबन हर रोज लोकल और दिल्ली के ऑफिसों को कॉल करते थे।

वह बहुत परेशान थे, अपने बेटे अनादि को आखिरी बार देखना चाहते थे। उनका अंतिम संस्कार करना चाहते थे। लेकिन, इंतजार करते-करते 30 जुलाई को उन्होंने ने भी आखिरी सांस ले ली। अब हमारा कोई सहारा नहीं बचा। समझ नहीं आता, क्या करेंगे। मैं मोदीजी से कहना चाहती हूं कि मेरे पति की लाश को अल्जीरिया से मंगवा दें। जिससे मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए अंतिम संस्कार कर सकूं।

परिवार अब अनादि के शव को भारत लाने के लिए क्या कर रहा है? वह विदेश में जॉब करने कब गए थे? अब परिवार सरकार से क्या चाहता है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम कानपुर से 39km दूर बारीगांव पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

अनादि के घर के बाहर आंगन जैसी जगह है, यहां गांव के लोग परिवार का दुख बांटने के लिए मौजूद थे।

अनादि के घर के बाहर आंगन जैसी जगह है, यहां गांव के लोग परिवार का दुख बांटने के लिए मौजूद थे।

पत्नी अलबम में शादी की तस्वीरें देखकर रो रहीं… हमें बारीगांव गांव में अनादि के घर के बाहर ही लोगों को जमावड़ा मिला। घर के अंदर जाने पर एक तख्त और कुछ कुर्सियों पर गांव के लोग बैठे थे। लोगों ने बताया कि अनादि और अब उनके पिता की मौत के बाद घर के छोटे बेटे अर्पित मिश्रा ही सब कुछ देख रहे हैं। वह लोगों के बीच बैठे रो रहे थे।

हम घर के अंदर गए, तो एक महिला गुमसुम बैठी थी। पूछने पर पता चला कि यही अनादि की पत्नी सुनीता हैं। उनके बेटे अर्पित ने कहा कि मां कुछ बोल नहीं रही, सिर्फ रोती रहती है। वह एक अलबम को लगातार देख रही थी। इसमें अनादि और उनकी शादी की तस्वीरें हैं। वह उन्हें देख-देखकर रो रही थीं।

पत्नी बोली- मेरी दुनिया उजड़ गई, अब कुछ नहीं बचा अनादि की पत्नी सुनीता कुछ संभलकर कहती हैं- अब मैं कुछ नहीं चाहती। बस यही इच्छा है कि आखिरी बार पति का चेहरा देख लूं। गांव में उनकी मिट्‌टी पर उनका अंतिम संस्कार कर सकूं। ताकि, पति की आत्मा को शांति मिल सके। मेरा 13 साल का बेटा रिभु है, जो बचपन से दिव्यांग है। दूसरा बेटा विभु 6 साल का है।

ये दोनों मुझसे पूछते हैं कि पापा कहां हैं? मैं क्या जवाब दूं…। दोनों गांव के स्कूल में पढ़ने जाते हैं। बाबूजी थे, तब उनका सहारा था। लगता था कि सिर पर किसी का हाथ हैं, मगर अब क्या करेंगे, कुछ पता नहीं।

वह कहती हैं- इन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। अब इन बच्चों की जिम्मेदारी कौन उठाएगा? यह सब कहते हुए वह फिर एक बार अलबम की तस्वीरें देखने लगती हैं।

कुछ देर बाद बुदबुदाती हैं- हम दोनों में बहुत प्यार था। रोज ही वह वीडियो कॉल करते थे। हमारे लिए ही तो कमाने गए थे, ताकि घर का खर्च चल सके। अब सब कुछ खत्म हो गया। बस उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन हो जाएं।

अनादि की पत्नी सुनती बार-बार शादी का एल्बम देखकर रो रही है।

अनादि की पत्नी सुनती बार-बार शादी का एल्बम देखकर रो रही है।

भाई बोला- वो गुजरात से अल्जीरिया गए थे अनादि के छोटे भाई अर्पित मिश्रा ने बताया- बड़े भाई पहले गुजरात में प्राइवेट नौकरी करते थे। उनके दोस्त वहां से नौकरी छोड़कर अफ्रीकी महाद्वीप के अल्जीरिया देश स्थित स्पंज आयरन कंपनी में ऑपरेटर पद पर काम करने जा रहे थे।

16 जून को अनादि जॉब करने गए थे। इसके बाद उनकी रोजाना घरवालों से बात होती रही। कहते थे कि दिवाली पर सबसे मिलने आएंगे। जैसा कि कंपनी में उनके साथ काम करने वालों ने हमें बताया है, 17 जुलाई को कंपनी में संदिग्ध परिस्थितियों में ब्लास्ट हुआ। जिसकी चपेट में आकर बड़े भाई गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान 18 जुलाई को उनकी मौत हो गई।

अनादि के छोटे भाई अर्पित मिश्रा ने सरकार से हमारी अपील की है कि भाई का पार्थिव शरीर देश वापस लाया जाए।

अनादि के छोटे भाई अर्पित मिश्रा ने सरकार से हमारी अपील की है कि भाई का पार्थिव शरीर देश वापस लाया जाए।

पिता कैंसर के मरीज थे, वो आखिरी बार बेटे का शव नहीं देख सके अर्पित मिश्रा ने बताया- मेरे ससुर कैंसर के पेशेंट थे। उनका इलाज कानपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में हो रहा था। भाई की मौत की जानकारी के बाद से वह रोज उनके शव के आने की जानकारी लेते। बहुत परेशान थे, आधी-आधी रात को टहलने लगते थे। बड़बड़ाते थे, हम लोग उनकी हालत देख नहीं पा रहे थे।

लेकिन, ये नहीं पता था कि शव का इंतजार करते हुए पापा ही दम तोड़ देंगे। अब उनकी मौत के बाद से पूरे परिवार का बुरा हाल है। अब हमारा कोई सहारा नहीं बचा।

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