Bulandshahr Violence; Inspector Subodh Murder Report | UP Police | इंस्पेक्टर और दंगाई एक ही हथियार से मारे गए: बुलंदशहर हिंसा में फोरेंसिक लैब रिपोर्ट 6 साल बाद सामने आई – Bulandshahr News
यूपी के बुलंदशहर में 3 दिसंबर, 2018 को हिंसा हुई। इसमें इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के अलावा एक युवक सुमित की मौत हुई। दोनों की जान कैसे गई, यह बात घटना के साढ़े 6 साल बाद सार्वजनिक हुई है। फोरेंसिक लैब ने जांच रिपोर्ट से दावा किया कि दोनों की मौत एक
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हिंसा-हत्याकांड में 1 अगस्त को 38 दोषियों को सजा सुनाई गई, तब ये जांच रिपोर्ट पहली बार सामने आई। इससे पहले ये बात एक पहेली थी कि सुमित कैसे मरा और उसे किसने मारा?
पब्लिक के एकमात्र विटनेस और 3 हत्यारों ने कोर्ट को बताया कि इंस्पेक्टर ने भीड़ पर गोली चलाई थी, जो सुमित को लगी। सुमित के पिता को इस बात का दर्द है कि आज तक बेटे की मौत का इंसाफ नहीं मिला। जबकि इंस्पेक्टर हत्याकांड-हिंसा में सजा भी हो गई। महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस हथियार (पिस्टल) से गोली मारी गई, वो आज तक नहीं मिला।
दैनिक भास्कर ने 391 पेज के कोर्ट ऑर्डर की बारीकी से स्टडी की। पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट…

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के 5 हत्यारों को उम्रकैद की सजा हुई। हिंसा में 33 लोगों को 7-7 साल की सजा सुनाई गई। एक दोषी विनीत चौधरी को जब जेल ले जाया जा रहा था, तो वह हंस रहा था।
दोनों शवों से मिले बुलेट .32 बोर के यूपी पुलिस की फोरेंसिक लैब आगरा में है। यहां के वैज्ञानिक अधिकारी रमेश सिंह लोधी ने बुलंदशहर कोर्ट को बताया- 5 दिसंबर, 2018 को सुमित कुमार और 15 दिसंबर, 2018 को इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के शरीर से बरामद हुए बुलेट का परीक्षण किया गया।
सुमित के पोस्टमॉर्टम नंबर-1465/18 से मिली बुलेट EB-1 और इंस्पेक्टर सुबोध के पोस्टमॉर्टम नंबर-991/18 से मिली बुलेट EB-1 दोनों ही .32 बोर की हैं। दोनों गोलियां एक ही हथियार से चली पाई गईं। दोनों मृतकों के शरीर पर बने गोली के एंट्री पॉइंट घाव क्लोज रेंज के बाहर की दूरी से फायर करने पर बनना संभव है।
सुमित के शरीर से लेड, कॉपर और नाइट्राइट की मौजूदगी डिटेक्ट नहीं हुई। इसलिए सुमित को क्लोज रेंज से बाहर की दूरी से फायर होने पर गोली लगने की संभावना है। यानी दूर से गोली मारी गई थी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट में बताया गया था कि दोनों की हत्या में इस्तेमाल किया गया हथियार एक ही था।
रमेश सिंह लोधी ने कोर्ट को बताया- दोनों को 32 बोर की गोली लगी थी और गोली एक ही वेपन की थी। तमाम निष्कर्ष और परीक्षण के आधार पर मैं ये कह सकता हूं कि दोनों बुलेट एक ही आग्नेय अस्त्र (हथियार) से चले पाए गए। ये बात भी सही है कि जिस हथियार से ये दोनों बुलेट चलना पाया गया, वो हथियार फोरेंसिक जांच के लिए लैब में नहीं भेजा गया।
फोरेंसिक लैब की ये जांच रिपोर्ट पहली बार सार्वजनिक तौर पर सामने आई है। इससे पहले ये आरोप जरूर लगते रहे कि इंस्पेक्टर और सुमित की मौत एक ही हथियार (पिस्टल) की गोली लगने से हुई थी। कहा जाता है कि आज तक वो हथियार इसलिए रिकवर नहीं किया गया, ताकि इंस्पेक्टर हत्याकांड का केस कमजोर न पड़े।

रिपोर्ट में लिखा है कि सुबोध कुमार और सुमित कुमार को .32 की गोली लगी थी। गोली एक ही हथियार से चली थी।
एकमात्र पब्लिक विटनेस बोला- इंस्पेक्टर की हवाई फायरिंग में सुमित को गोली लगी बुलंदशहर पुलिस ने हिंसा और हत्याकांड में मुकेश उर्फ मूला को एकमात्र पब्लिक विटनेस बनाया है। मुकेश ने कोर्ट को बताया- मैंने देखा कि इंस्पेक्टर साहब के सिर में चोट लगी थी, खून निकल रहा था। वो दीवार के सहारे बैठकर अपना खून पोंछ रहे थे। भीड़ में सबसे आगे सुमित (मरने वाला व्यक्ति) था। दीवार के सहारे एक होमगार्ड खड़ा था। उसने हवाई फायर किया, ताकि भीड़ रुक जाए।
इंस्पेक्टर ने अपने को घिरता देखकर हवाई फायर किया, जो सुमित को लगा। इंस्पेक्टर को मैं अपने गांव की तरफ लेकर जा रहा था। तभी प्रशांत नट (मुख्य हत्यारा) दीवार की ओट से आया और इंस्पेक्टर को पकड़ लिया। इंस्पेक्टर जमीन पर गिर गए। भीड़ एकदम टूट पड़ी। सभी लाठी-डंडों से इंस्पेक्टर को मारने लगे। प्रशांत नट ने पिस्टल छीनकर इंस्पेक्टर को गोली मार दी।
हत्यारों का भी यही बयान, सुमित को लगी इंस्पेक्टर की गोली इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या में कोर्ट ने 5 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इनमें से 3 दोषी प्रशांत, डेविड और राहुल ने भी कोर्ट में पब्लिक विटनेस मुकेश उर्फ मूला जैसा बयान दिया।
तीनों ने बताया- जब हम चिंगरावठी पुलिस चौकी पर पहुंचे, तो इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह खेत में दीवार के सहारे (घटनास्थल) थे। वो अपना खून पोंछ रहे थे। सुमित (जिसकी बाद में मौत हुई) करीब 15 गज दूर से इंस्पेक्टर पर पत्थरबाजी कर रहा था।
जिस समय सुमित को इंस्पेक्टर की गोली लगी, दोनों की दूरी 8-10 गज रही होगी। इंस्पेक्टर ने हवाई फायर किया था। जिससे गोली लगकर सुमित घायल हुआ था। यह फायर इंस्पेक्टर ने डिग्री कॉलेज की दीवार के सहारे नाली से किया था। सुमित को गोली लगने के करीब 20 मिनट बाद इंस्पेक्टर को गोली लगी होगी।

सुमित के माता-पिता बेटे की तस्वीर दिखाते हुए आज भी रो पड़ते हैं।
सुमित के पिता बोले- बेटे को इंस्पेक्टर ने मारा गांव चिंगरावठी में रहने वाले सुमित की मौत को लेकर हमने उसके पिता अमरजीत सिंह से भी बात की। वो दो टूक कहते हैं- इंस्पेक्टर गायों को कटवाता था, पैसे लेता था। उन्होंने मेरे बेटे की हत्या कर दी। जिस तरह महाभारत में अभिमन्यु की हत्या हुई, ठीक वैसे ही मेरे बेटे की हत्या कर दी गई। वो वर्दी वाला था, सरकार उसकी थी। जातीय पक्षपात मुख्यमंत्री ने किया। मैं मुख्यमंत्री से भी मिला। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

दोषियों ने अपने बचाव में कोर्ट में क्या-क्या कहा?
- हत्या के मुख्य अभियुक्त प्रशांत नट ने कहा- मैंने इंस्पेक्टर का फोन नहीं लूटा, न ही पिस्टल छीनी, न ही गोली मारी। न ही मैंने अपने घर से इंस्पेक्टर का फोन रिकवर कराया। कुछ पुलिसकर्मी 3 दिन तक मेरे घर फोन लेकर बैठे रहे। वहीं से फर्जी लोकेशन तैयार करके रिकवरी दिखाई।
- योगेश राज ने कहा- मैं निर्दोष हूं, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और रंजिश के कारण झूठा फंसाया गया।
- जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी ने कहा- घटना के समय मेरी पोस्टिंग भारतीय सेना में राष्ट्रीय राइफल्स सोपोर में थी। मैं घटना के वक्त 16 दिन की छुट्टी लेकर अपनी भांजी का भात भरने आया था। मेरे गांव आने-जाने का रास्ता घटनास्थल से होकर गुजरता है। गलतफहमी में मेरे खिलाफ झूठा केस दर्ज हुआ है।
- मोहित ने कहा- घटनास्थल से 500 मीटर दूर मेरा घर है। मेरे पिता आर्मी में नौकरी करते थे। गलतफहमी और पार्टीबंदी में मुझे झूठा फंसाया।
- नितिन पंडित ने कहा- मैं लॉ ग्रेजुएट हूं। पिता सीनियर अधिवक्ता हैं। मैं कचहरी में प्रैक्टिस सीखने आता था। उस दिन अचानक मां की तबीयत खराब होने पर बुलंदशहर से स्याना आ रहा था। गलतफहमी में मेरा नाम प्रकाश में आया।
- विशाल त्यागी और उपेंद्र राघव ने कहा- बजरंगदल और विश्व हिंदू परिषद का कार्यकर्ता होने के कारण फंसाया गया।
- शिखर अग्रवाल ने कहा- मैं उस दिन गोकशी की रिपोर्ट लिखाने स्याना कोतवाली गया था। पारिवारिक विरोधियों से मिलकर मुझे झूठा फंसाया गया।

इंस्पेक्टर की हत्या में 5 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इनमें प्रशांत नट, डेविड, जोनी, राहुल और लोकेंद्र मामा शामिल हैं।
हाईकोर्ट में सजा को चैलेंज करेंगे सभी दोषी इस हिंसा में कोर्ट ने 5 दोषियों को उम्रकैद और 33 दोषियों को 7-7 साल की सजा सुनाई है। अब इन दोषियों का क्या होगा? क्या ये पूरी सजा काटेंगे या फिर अगले कुछ दिनों में जमानत पाकर जेल से बाहर आ जाएंगे?
इसे लेकर हमने डिफेंस लॉयर अशोक डागर से भी बात की। उन्होंने बताया- हम सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट इलाहाबाद में अपील दायर करने जा रहे हैं। इसके साथ ही सभी की तरफ से बेल एप्लिकेशन भी डाली जाएगी। हमें उम्मीद है कि सभी लोग जल्द जमानत पर बाहर आएंगे। पहले भी हिंसा के 11-12 महीने बाद ही ज्यादातर नामजद आरोपियों को जमानत मिल गई थी।

तस्वीर 3 दिसंबर, 2018 की है। भीड़ ने हिंसा के दौरान कई वाहन फूंक दिए थे।
कोर्ट का दंगाइयों को संदेश- खुद जज बनने का प्रयास न करें 1 अगस्त, 2025 को बुलंदशहर कोर्ट के ADJ गोपाल जी. ने ऑर्डर कॉपी लिखी। इसमें लिखा- भारत में हर नागरिक का दायित्व है कि वो कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेकर स्वयं न्यायाधीश बनने का प्रयास न करे। जब बलवाइयों-उपद्रवियों द्वारा कानून हाथ में लेने का दुस्साहस किया जाता है, तब ऐसे लोगों के साथ दंड के उद्देश्य से कोर्ट को संविधान सम्मत फैसला लेने का अधिकार है। ऐसे बलवाइयों को अनुपात में दंड दिया जाना न केवल संविधान के उद्देश्य की पूर्ति करता है, बल्कि विधि-न्यायिक व्यवस्था के प्रति जनता का भरोसा बरकरार रहता है।

आखिर में पूरा मामला समझिए
गोकशी पर भड़के थे हिंदू संगठन, फूंक दी थी पुलिस चौकी 3 दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर जिले में स्याना कोतवाली के गांव महाव के खेतों में गोवंश के अवशेष मिले थे। हिंदू संगठन इन्हें उठाकर बुलंदशहर-स्याना स्टेट हाईवे पर चिंगरावठी पुलिस चौकी के सामने ले आए। उन्होंने अवशेषों को सड़क पर रखकर रास्ता जाम कर दिया।

हिंसा के दौरान पुलिस चौकी में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी गई थी।
पुलिस ने समझाने का प्रयास किया तो भीड़ ने पथराव कर दिया और पुलिस चौकी में आग लगा दी। इस दौरान स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। गांव चिंगरावठी के सुमित की भी इस दौरान गोली लगने से मौत हुई।
पुलिस ने 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश की। इनमें 5 लोगों को हत्या और बाकी को हिंसा का आरोपी बनाया गया। केस की सुनवाई के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई। एक आरोपी नाबालिग निकला। इसलिए 38 लोगों पर कोर्ट में ट्रायल चला। कोर्ट ने 30 जुलाई, 2025 को सभी 38 आरोपियों को दोषी करार दिया है। 1 अगस्त, 2025 को कोर्ट ने सभी 38 दोषियों को सजा सुना दी।

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