Malini Awasthi said in Jhansi: Research should be done on folk art | झांसी में बोलीं मालिनी अवस्थी: लोककला पर हो शोध: अपनी पुस्तक का विमोचन करने पहुंची थीं लोक गायिका, कहा सावन में स्वर्ग से कम नहीं बुंदेलखंड – Jhansi News
झांसी पहुंचीं लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी
झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती के मौके पर लोक गायिका और पद्मश्री मालिनी अवस्थी झांसी पहुंचीं। यहां उन्होंने अपनी एक किताब का भी विमोचन किया। साथ ही कुलपति प्रो.मुकेश पांडेय से बातचीत में कहा कि लोकगीत और कला
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विश्वविद्यालय के गांधी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचीं मालिनी अवस्थी ने यहां बुंदेलखंड में अपने अनुभव साझा किए। साथ ही दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि मेरे लिए झांसी या बुंदेलखंड नया नहीं है। बोलीं, बारिश के दिनों में जिस प्रकार यहां हरियाली दिखाई देती है वह स्वर्ग से कम नहीं लगती। वहीं, अपनी किताब ‘चंदन किवाड़’ के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि किताब में 27 अध्यय हैं, जिसमें मैनें अपने जीवन के सफर को अंकित किया है। यह केवल इतना नहीं है कि किसी ने लिख दिए और मैंने गा दिए बल्कि, ये देश की लोक संस्कृति को भरिभाषित करने वाले गीत है और लोक कथाएं हैं, जिनको मैंने महसूस कर इस किताब में साझा किया है।
कई सत्र में चली चर्चा
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में शोधार्थी शाश्वत सिंह ने कार्यक्रम को होस्ट करते हुए लोक गायिका मालिनी अवस्थी से उनके गायिका के रूप में जीवन के सफर को अन्य शोधार्थियों के सामने प्रस्तुत किया। साथ ही हिंदी और अवधि बोलने वाले लोगों तक मालिनी अवस्थी के गीतों की पैठ को लेकर भी चर्चा की। जिस पर उन्होंने कहा कि लोक गीत जीवंत थे, जीवंत हैं और जीवंत रहेंगे।