Varanasi News people of Laxa have not forgotten that night of 1978 till date Ganges Flood | 1978-की वो रात आज तक नहीं भूले लक्सा के लोग: बोले- वाराणसी में बहुत तेज बढ़ा था पानी, सुबह कमर तक, चार दिन चली नाव – Varanasi News
वाराणसी में 1978 में आयी थी अब तक की सबसे बड़ी बाढ़। लक्सा तक चली थी नाव।
‘अफरा-तफरी का माहौल था। मां गंगा रात साढ़े 8 से 9 बजे का वक्त था। मां गंगा बढ़ते हुए हमारे दरवाजे तक आ गयीं थीं। उस वक़्त हम 10 साल के थे। रात हुई और सब सो गया। बहुत करारा बढ़ा पानी; सुबह उठे तो कमर तक पानी था। चार दिन बाद उस बाढ़ का पानी उतरा था। चार दिन
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ये कहना है वाराणसी के लक्सा इलाके के गोविंद कुमार वर्मा का; उनकी दुकान लक्सा थाने के सामने है। उन्होंने बताया उस वक्त मेरी उम्र दस साल थी और बाढ़ के रूप से सभी डर गए थे। गुरुबाग तक पानी था और लक्सा चौराहे तक नाव चल रही थी। इस बार भी लोग कह रहे हैं कि बाढ़ आने वाली है।
वाराणसी के लक्सा-औरंगाबाद मार्ग पर तिवारी जी के मकान पर एक संख्या लाल रंग से लिखी है ‘1978’; ये संख्या साल 1978 में काशी आयी बाढ़ की याद दिलाती है। इस बाढ़ ने सभी को डरा दिया था। तब वाराणसी में नाव गोदौलिया, गिरजाघर, बेनियाबाग, और लक्सा तक चली थी। 7 सितंबर 1978 को वाराणसी में आजादी के बाद सबसे हाइएस्ट गंगा का वाटर लेवल 73.901मीटर नापा गया। जिसके बाद गंगा वापस उतर गयीं।

आजादी के बाद 1978 में सबसे हाइएस्ट लेवल पर वाराणसी में पहुंची थी गंगा।
इस बार भी कानपुर में बंधे से पानी छोड़े जाने के बाद गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने वाराणसी के लक्सा इलाके में पहुंचकर वहां के लोगों से 1978 में आयी बाढ़ का आंखों देखा हाल जाना और समझा कि यदि बाढ़ आयी तो क्या होगा। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…
कई दिनों से हो रही थी घनघोर बारिश वाराणसी के लक्सा इलाके में साल 1978 में गंगा ने दस्तक दी थी। गंगा का पानी भी बहुत तेजी से बढ़ रहा था। हम लोग भी डरे हुए थे। सब कह रहा था की पानी लक्सा तक आएगा। और हुआ भी वही, पानी लक्सा तक आ गया। लक्सा के रहने वाले गोविंद कुमार वर्मा ने बताया- हम लोग उस वक्त 10 साल के थे। घर में सुन रहे थे पानी बढ़ रहा है। 6 सितम्बर 1978 की रात में 8 बजे थे। उसी समय हल्ला हुआ की पानी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि कई दिनों से बारिश हो रही थी। जो रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
रात 9 बजे पानी हमारे घर से आगे बढ़ गया गोविंद कुमार वर्मा ने बताया- रात का साढ़े 8 बजा था कि पानी बढ़ना शुरू हो गया और जेजे इंटरनेशनल होटल के आगे बढ़ता हुआ 9 बजे रात तक हमारे घर तक आ गया। पूरे मोहल्ला में अफरा-तफरी थी की सामान समेटो ऊपर के तल पर ले चलो। पता नहीं कितना बढ़ेगा पानी। इसी में रात का 12 बज गया। हम लोग बच्चे थे सो गए पर घर के बड़े जाग रहे थे।

स्थानीय निवासी गोविंद कुमार वर्मा ने बताई उस रात की आंखों देखी जब लक्सा पहुंचा था गंगा का पानी।
सुबह कमर तक था पानी गोविंद ने बताया- सुबह उठे तो देखा कमर तक था पानी और कोई भी उसमें उतरने की हिम्मत नहीं कर रहा था। पूरे मोहल्ले के लोग अपने घरो के झज्जों से झांक रहे थे। पानी लक्सा होते हुए गुरुबाग तक गया था। लक्सा तक नाव चल रही थी। कुछ लोग नाव लेकर निकले थे। उसमें हम लोग भी चढ़े और गंगा की बाढ़ देखने गए।
गोदौलिया चौराहे पर लगी थी रस्सी गोविंद ने बताया- हम लोग उसी नाव से घूमने गए। गिरजाघर, गोदौलिया सब पानी में डूबा हुआ था। दुकानों में पानी था। गोदौलिया से किसी नाव को भी दशाश्वमेध की तरफ जाने की अनुमति नहीं थी। रस्सी लगाकर रास्ता बंद किया गया था। क्योंकि गंगा माता खींच रहीं थीं। किसी को नाव लेकर उधर जाने की अनुमति नहीं थी।

वाराणसी में इस साल भी गंगा उफान पर है।
4 दिन बाद उतरा था पानी, बहुत हुआ था नुकसान गोविंद ने बताया- बाढ़ के साथ ही साथ बारिश हो रही थी। चार दिन बारिश नहीं रुकी। बारिश रुकी तो गंगा माता उतरना शुरू हुईं। लेकिन चार दिन पानी एकदम स्थिर था। पानी उतरने के बाद गंदगी ने कई दिन परेशान किया और जब बढ़ का पानी उतरा तब लोगों को पता चला की उनका कितना नुकसान हुआ था।

पांच दिन तक दूध और ब्रेड खाकर रहे थे हम लोग। नाव से लाते थे ब्रेड।
पाउडर वाला दूध और ब्रेड खाकर रहे चार दिन स्थानीय निवासी दिनेश ने बताया – साल 1978 में 8 साल के थे। उस समय जब बाढ़ आयी तो गुरुबाग तक पानी गया था। लक्सा तक नाव चल रही थी। हमारा घर दूसरी पटरी पर था और दूसरी पटरी पर दुकान थी। हम लोग पाउडर वाला दूध घोल-घोल कर ब्रेड से खा रहे थे। दुकान से ब्रेड लाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा था।
चार दिन पानी हिला ही नहीं दिनेश ने बताया- चार दिन पानी हिला ही नहीं। जैसे लग रहा था कि पानी अब नीचे नहीं उतरेगा और गंगा जी यहीं बहेंगी। पर चार दिन बाद पानी उतरना शुरू हुआ। वैसी बाढ़ कभी नहीं देखी।

बुजुर्ग पन्नालाल एडवोकेट ने बताया; लक्ष्मीकुंड के पास एक मठ है। वहां कमर तक पानी था। हम लोग घरों में कैद थे।
लक्ष्मीकुंड तक कमर तक था पानी पन्ना लाल सिंह लक्सा की जद्दूमंडी में रहते हैं। उनकी उम्र इस समय 70 साल है। उन्होंने बताया- गुरुबाग तक नाव चल रही थी। जद्दूमंडी में लक्ष्मी कुंड है वहां तक पानी चला गया था। पानी एक सप्ताह तक था। उसके बाद धीरे-धीरे उतरा। लोगों ने उस समय एक दूसरे की बहुत मदद की। हम लोग गोदौलिया और गिरजाघर तक नहीं जा पाते थे। एक सप्ताह तक पानी की वजह से लोग घरों में कैद हो गए थे।