Executive Council meeting today after 4 years in BHU | BHU में 4 साल बाद कार्यकारिणी परिषद की बैठक आज: कुलपति से आठों सदस्यों का होगा परिचय,तय होगा अगले 3 साल का एजेंडा – Varanasi News
बीएचयू में करीब 4.5 वर्ष के बाद आज नई कार्यकारिणी परिषद की पहली बैठक होगी। सोमवार की शाम 7 बजे से कुलपति आवास में यह एक परिचयात्मक बैठक ही होगी। इसमें कुलपति के साथ ईसी के आठों सदस्यों का परिचय होगा। इसका पहले से तय कोई एजेंडा नहीं है।
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लेकिन एजेंडा वाली बैठक करीब 30 से 40 दिन के बाद हो सकती है। बीएचयू में बीते 24 जुलाई को शिक्षा मंत्रालय ने बीएचयू की विजिटर और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से नामित किए गए 8 सदस्यों के नाम रजिस्ट्रार को भेजा गया था।
पहली बैठक में होगी मौखिक चर्चा
सूत्रों के मुताबिक बीएचयू के नव नियुक्त कुलपति नए सदस्यों के साथ बीएचयू की समस्याओं और आगामी योजनाओं पर बातचीत भी कर सकते हैं। इसके अलावा संसदीय कमेटी के बीएचयू दौरे पर उठाए गए सवालों और पीएचडी एडमिशन से जुड़ी बातें भी हो सकती हैं।
बीएचयू में पिछले तीन साल में हुईं नियुक्तियों, नए कोर्स और नई पीठ और केंद्रों, कैंपस में नए निर्माण और प्रमोशन से जुड़े मसलों पर मौखिक बातचीत की जा सकती है। हालांकि कोई लिखित एजेंडा जारी नहीं हुआ है तो इस बैठक में न तो कोई प्रस्ताव पारित होगा और न ही किसी पूर्व फैसलों पर वैधता दिलाई जा सकती है।

ये तीन बीजेपी के नेता भी हैं बीएचयू ईसी के सदस्य।
ये आठ सदस्य इस बैठक में हो सकते हैं शामिल
पूर्व केंद्रीय मंत्री और चंदौली के पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, वाराणसी के मेयर अशोक कुमार तिवारी और भाजपा काशी क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल, बीएचयू के समाजशास्त्री प्रो. ओम प्रकाश भारतीय, दूसरी समाजशास्त्री प्रो. श्वेता प्रसाद, बीएचयू में जंतु विज्ञान विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर और क्लस्टर जम्मू विवि के कुलपति बेचन लाल और बीएचयू रेडियोथेरेपी के रिटायर्ड प्रोफेसर यूपी शाही सदस्य के तौर पर इस परिचयात्मक बैठक शामिल हो सकते हैं। बीएचयू अधिनियम, 1915 के अधिनियम 14(1) के अनुसार, तीन वर्ष की अवधि के लिए कार्यकारी परिषद में नामित किया गया है।
यदि ईसी ने अस्वीकार किया तो पिछले सभी फैसले होंगे निरस्त
बीएचयू में नव नियुक्त कई लोगों की सांसे अटकी हुईं थीं कि यदि भविष्य में ईसी की बैठक हुई तो वहां पर उन फैसलों को वैधता दिलानी ही होगी। यदि सदस्यों ने विरोध कर दिया और प्रस्ताव पारित नहीं हो पाता तो उन नियुक्तियों के अवैध होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि अब एक से डेढ़ महीने के बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा।