varanasi court hearing on the gyanvapi moolwad today kashi | ज्ञानवापी-मूलवाद में वादमित्र हटाने की याचिका पर सुनवाई आज: वादमित्र ने कोर्ट में दी दलीलें, अंजुमन इंतेजामिया ने जताई आपत्ति – Varanasi News
वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय के सिविल जज कोर्ट में सोमवार को ज्ञानवापी मूलवाद की सुनवाई होगी। केस में वादमित्र को हटाने और नए पक्षकार को लेकर सीनियर डिवीजन/फास्ट ट्रैक कोर्ट में दोनों पक्ष पेश होंगे। लॉर्ड विश्वेश्वर के केस के पक्षकार और प्रतिवा
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इस मामले में मुकदमे के वादी रहे हरिहर पांडेय के निधन के बाद उनकी बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय की ओर से पक्षकार बनाए जाने की रिवीजन याचिका भी सुनी जाएगी। उधर, इस वाद में अनुष्का तिवारी की ओर से भी दाखिल प्रार्थना पत्र सुनवाई करते हुए कोर्ट उसे आगे बढ़ाएगा।
तीन बहनों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील रईस अहमद व एखलाक अहमद ने उनके पक्षकार बनाए जाने पर आपत्ति की है। उनके अनुसार वादमित्र पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, इससे पहले भी पक्षकार बनाने के आवेदन के पांच प्रार्थना पत्र खारिज किए जा चुके हैं। हरिहर पांडेय की पुत्रियों का प्रार्थना पत्र अदालत ने 11 जुलाई को निरस्त कर दिया था।

अंजुमन की दलील, पक्षकार बनने वालों की कतार लग जाएगी
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील रईस अहमद व एखलाक अहमद ने कहा कि वाद में जिन लोगों ने प्रार्थना पत्र दिया है सभी पार्टी हैं और न ही आवश्यक हैं। तीनों बहनों को मुकदमे में पक्षकार बना दिया गया तो हिन्दू-मुस्लिम समुदाय से प्रार्थना पत्र दाखिल करने वालों की तांता लग जाएगी।
ऐसे में न तो मुकदमे की सुनवाई आगे बढ़ सकेगी और न ही निस्तारण हो सकेगा। इस वाद के आदेश व निर्णय से सभी प्रभावित होंगे। वकील रईस अहमद व एखलाक अहमद ने यह भी दलील दी कि इस वाद में वकील विजय शंकर रस्तोगी के वाद मित्र बनने पर स्व. हरिहर पांडेय की बेटियों को आपत्ति करने का कोई अधिकार नहीं है।
वहीं पक्षकार बनाने के हरिहर पांडेय की बेटियों के प्रार्थना पत्र का सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से मौजूद वकील तौहिद खान ने समर्थन किया। दलील दी कि तीनों बहनें हरिहर पांडेय की विधिक वारिसान हैं और उनकी मृत्यु के बाद पक्षकार बनाने पर कोई कानूनी रोक नहीं है। तीनों बहनों की ओर से उपस्थित वकील आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अपना पक्ष रखने के लिए अदालत से समय मांगा। अदालत ने इसे मंजूर करते हुए आज की तारीख तय की।
33 साल से लंबित है केस
वाराणसी के सबसे चर्चित ज्ञानवापी केस के मूलवाद में 33 साल बाद भी अवरोध आते जा रहे हैं और मूलवाद में गवाही, जिरह के बाद अब पक्षकार के लिए दाखिल याचिकाएं लेटलतीफी का कारण बन रही हैं। पहले हरिहर पांडे के परिजनों ने वादी बनने की अपील दायर की जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब उनकी बेटियों की पुर्नविचार याचिका के अलावा एक अन्य अनुष्का तिवारी ने वादमित्र को हटाने की याचिका पर सुनवाई जारी है।

अनुष्का तिवारी ने भी दाखिल की है याचिका
बता दें कि पिछली तारीख पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) भावना भारतीय की कोर्ट में अनुष्का तिवारी ने वाद मित्र को हटाने के लिए आवेदन दाखिल कर दिया। संख्या 575-सी में बताया गया कि वह ऑर्डर है। दलील दी कि नियम 8 सीपीसी के तहत दायर वर्तमान प्रतिनिधि वाद में आवश्यक और उचित पक्षों को पक्षकार बनाने में वाद मित्र विफल रहे हैं।
विशेष रूप से, वाद मित्र ने उन पक्षों ( राज्य सरकार,भारत सरकार और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट) को छोड़ दिया है जो वर्तमान में विवादित धार्मिक संपत्ति पर कब्जा, प्रबंधन या सक्रिय पूजा कर रहे हैं, और जिनके अधिकार और हित कार्यवाही के परिणाम से सीधे प्रभावित होते हैं।
शंकराचार्य को वादमित्र बनाने की मांग
इसमें लघु देवता वादी, स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की प्राचीन मूर्ति के वाद मित्र के रूप में विजय शंकर रस्तोगी को हटाने की मांग की गई है। इस मामले वादी रहे सभी की मृत्यु हो चुकी है। पंडित सोमनाथ व्यास (पुजारी) का निधन 7 मार्च 2000 को हो गया था। उनके निधन के बाद 11 अक्तूबर 2019 को विजय शंकर रस्तोगी को मुकदमे में देवता के हित का प्रतिनिधित्व जारी रखने के लिए देवता स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर के अगले मित्र के रूप में नियुक्त किया गया था।
तबादला आवेदन का विरोध करके देवता के अनेक भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं। अनुष्का ने प्रस्तावित वाद मित्र के रूप में जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती विश्वंभर नाथ मिश्रा (संकट मोचन मंदिर के महंत), विष्णु शंकर जैन, अश्विनी कुमार उपाध्याय के नाम पर गुहार लगाई है। कमीशन प्रार्थना पत्र अधिवक्ता शिवपूजन सिंह गौतम, शरद श्रीवास्तव और हिमांशु तिवारी द्वारा दाखिल किया गया है।