Dhirendra Krishna Shastri reached Vrindavan | धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पहुंचे वृंदावन: जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का लिया आशीर्वाद,श्री मद्भागवत कथा का किया श्रवण – Mathura News


स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि मैं संतो की निंदा नहीं करता पर जब कोई शास्त्र से विरत होता है तो उसका विरोध करता हूं

मथुरा के वृंदावन में परिक्रमा मार्ग स्थित छत्तीसगढ़ कुंज तुलसी कुंज में स्थित प्राचीन ठाकुर मथुरामल्ल जी भगवान के परिसर में श्री मद्भागवत कथा का आयोजन साधु संत और धर्माचार्यों की मौजूदगी में प्रारंभ हुआ। साकेत वासी महंत रामबली दास की पावन स्मृति में

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भागवताचार्य के भीतर होने चाहिए 7 गुण

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने विस्तार से वर्णित करते हुए कहा कि भागवत सप्ताह का अर्थ सात दिन की कथा होनी चाहिए और भागवताचार्य के भीतर सात गुण होने चाहिए, मैं प्रयास करूंगा कि सभी गुण मेरे भीतर विद्यमान हों। भगवान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि ऐश्वर्य,धर्म, यश,श्री,ज्ञान और वैराग्य जहां निरंतर विद्यमान हों उन्हें भगवान कहते हैं ,क्योंकि भगवान को गुण छोड़ नहीं सकते वह निरंतर भगवान में ही रहते हैं।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज से आशीर्वाद लेते बागेश्वर पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज से आशीर्वाद लेते बागेश्वर पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

भगवान की वांग्मय मूर्ति है भागवत

स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि मैं संतो की निंदा नहीं करता पर जब कोई शास्त्र से विरत होता है तो उसका विरोध करता हूं। आजकल कुछ लोग स्वयं को पुजवा रहे हैं भगवान को नहीं यह गलत है। उद्धव जी ने श्री कृष्ण से कहा आप चले जा रहे हैं , भक्तों का क्या होगा,भगवान ने अपना पूरा तेज भागवत में रख दिया,भगवान की वांग्मय मूर्ति है भागवत जिसके श्रवण मात्र से धुंधकारी जैसे राक्षस प्रवृत्ति के व्यक्ति सहित परीक्षित जी को भी भगवत रस पान करने से मोक्ष की प्राप्ति हुई , इसलिए श्रीमद्भागवत की कथा सुनो और उसका रसपान करो।

धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने भेंट की बालाजी की प्रतिमा

इस अवसर पर रमण रेती के महाराज गुरुशरणानंद ने छत्तीसगढ़ कुंज के गोपी कृष्णदास महाराज एवं वामदेव आश्रम के अनन्त देव महाराज के साथ ब्यास पीठ और आचार्य श्री रामभद्राचार्य का विधिवत पूजन अर्चन किया। कथा के शुभारंभ में ही रामभद्राचार्य महाराज के शिष्य और बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने पहुंच कर ब्यास पीठ पर आचार्य को बालाजी की प्रतिमा भेंटकर शाष्टांग प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर श्री रामभद्राचार्य जी ने उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्रदास और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को राम और श्याम की उपाधि देते हुए कहा कि यह दोनों मिलकर सनातन की पताका को लहराने का काम करेंगे ।आचार्य चरण वृदावली का पाठ तुलसी पीठ चित्रकूट के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास द्वारा किया गया।

श्री रामभद्राचार्य जी ने उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्रदास और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को दी राम और श्याम की उपाधि

श्री रामभद्राचार्य जी ने उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्रदास और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को दी राम और श्याम की उपाधि

यह रहे मौजूद

कथा में सुदामा कुटी के संत सुतीक्षण दास,हेमकांत शरण,मदन मोहन दास,रघुवर दास,अंशुल,मनोज त्यागी,रोहित रिछारिया,सनत मिश्रा,परम हंसदास महाराज तपस्वी छावनी अयोध्या,अशोक बाहेती , विवेक उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।



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