Hardha State was an important place in the freedom struggle | आजादी की लड़ाई में हड़हा स्टेट था अहम ठिकाना: नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने बनाया था गुप्त अड्डा, बांस के जंगलों में बनते थे हथियार – Barabanki News


सरफराज वारसी | बाराबंकी3 मिनट पहले

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बाराबंकी के हड़हा स्टेट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गुप्त आश्रय लिया था। - Dainik Bhaskar

बाराबंकी के हड़हा स्टेट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गुप्त आश्रय लिया था।

बाराबंकी के हड़हा स्टेट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई के दौरान गुप्त आश्रय लिया था। यह वह जगह थी जहां राजा प्रताप बहादुर सिंह के संरक्षण में आजाद हिंद फौज के लिए हथियार तैयार किए जाते थे।

हड़हा स्टेट के घने बांस के जंगलों में रात के अंधेरे में बम, देसी पिस्तौल और अन्य हथियार बनाए जाते थे। इन हथियारों को गुप्त मार्गों से आजाद हिंद फौज तक पहुंचाया जाता था। यह सिलसिला लगभग दो साल तक चला।

जब अंग्रेजों को इस गतिविधि की जानकारी मिली, तो उन्होंने यहां छापेमारी की। कई लोगों को गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया गया। लेकिन किसी ने भी नेताजी की मौजूदगी का राज नहीं खोला। 24 नवंबर 1938 को राजा प्रताप बहादुर सिंह ने गांव में नेताजी की प्रतिमा स्थापित करवाई। वर्तमान में राजा के वंशज कुंवर रिंकू सिंह बताते हैं कि उनके पूर्वज ने नेताजी के ठहरने, भोजन और धन की व्यवस्था की थी।

बाराबंकी के हड़हा स्टेट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गुप्त आश्रय लिया था।

बाराबंकी के हड़हा स्टेट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गुप्त आश्रय लिया था।

घने जंगलों से घिरा होने के कारण यह स्थान अंग्रेजों को भ्रमित करने के लिए उपयुक्त था। आज भी हड़हा स्टेट उस गौरवशाली इतिहास का साक्षी है, जहां की मिट्टी में आजादी की लड़ाई की यादें समाई हुई हैं।

राजा प्रताप बहादुर सिंह जो स्व. राजीव कुमार सिंह के पिता थे उन्होंने इस गुप्त अभियान का साहसिक नेतृत्व किया। आज भी उनके वंशज कुंवर रिंकू सिंह उस दौर की पूरी कहानी को अपने मुंह से बयां करते हैं जो हड़हा स्टेट की उस गौरवशाली विरासत की याद दिलाता है।

बताया जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के उग्र दौर में नेताजी को ऐसे छिपे और सुरक्षित स्थान की आवश्यकता थी जहां हथियार बनते, सैनिक प्रशिक्षित होते और योजनाएं तैयार होतीं। राजा प्रताप बहादुर सिंह ने इस जिम्मेदारी को अपनी निष्ठा से निभाया। गांव को चारों ओर से घने बांस के जंगलों ने अंग्रेजों की दृष्टि से इसे पूरी तरह छुपाया हुआ था।



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