Fraud of hundreds of crores, now preparations are on to cancel the registration of the committee | लखनऊ में ज़मीन घोटाला: सैकड़ों करोड़ की हेराफेरी, अब समिति का पंजीकरण रद्द करने की तैयारी – Lucknow News
लखनऊ के गोमती नगर विस्तार में ज़मीन घोटाले की परतें अब तेजी से खुलने लगी हैं। सैकड़ों करोड़ रुपए की ज़मीन को फर्जी सदस्यता के ज़रिए हड़पने वाली बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने
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LDA के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने भास्कर से पुष्टि की कि डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड एवं सोसाइटी को इस संबंध में पत्र भेजा जा चुका है। मौखिक निर्देश भी दिए गए हैं कि समिति का पंजीकरण तत्काल निरस्त किया जाए। उन्होंने बताया कि इस घोटाले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
क्या है घोटाले की पूरी कहानी?
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब हाईकोर्ट के आदेश पर जांच शुरू हुई। जांच में सामने आया कि फर्जी सदस्यता दिखाकर गोमती नगर विस्तार योजना में करोड़ों की ज़मीन का आवंटन किया गया।
विजिलेंस जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए। LDA के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से समिति को तय सीमा से दोगुनी जमीन का अवैध आवंटन कर दिया गया।
112 प्राइम लोकेशन प्लॉट, फर्जी नामों पर आवंटित
जांच में पता चला कि करीब 3.59 लाख वर्ग फीट ज़मीन पर फर्जी तरीके से कब्जा किया गया। ज़मीन की कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये में आंकी जा रही है। जिन लोगों के नाम पर ज़मीन आवंटित की गई, उनमें कई अधिकारियों के रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य शामिल हैं।
हाईकोर्ट सख्त मांगी जांच रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए LDA के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव अग्रवाल की 2010 की रिपोर्ट और अन्य जांचों के आधार पर विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं।
विजिलेंस निदेशक को पूरी जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
FIR में शामिल हैं सैकड़ों नाम, अधिकारी जांच के घेरे में
गोमती नगर थाने में दर्ज एफआईआर में समिति के प्रमुख पदाधिकारियों — प्रवीण सिंह, लखन सिंह बलीयानी, अभिषेक विक्रम सिंह, वीरेंद्र कुमार सिंह, नरेंद्र कुमार सिंह और राघवेंद्र प्रताप सिंह — सहित सैकड़ों लोगों के नाम दर्ज हैं।
जांच के दायरे में 2009 से 2019 तक LDA में तैनात 30 से अधिक अधिकारी, जिनमें IAS, PCS अफसर और इंजीनियर शामिल हैं, भी आ चुके हैं।
आगे क्या?
फिलहाल समिति का पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है। LDA का कहना है कि जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर वित्तीय और कानूनी कार्रवाई तय है। अब देखना यह है कि यह मामला सिर्फ कागजों तक सिमटकर रह जाता है या सख़्त कार्रवाई के साथ उदाहरण बनता है।