UP Monad University Degree Scandal; STF | Fake Mark Sheet | लंदन में मेयर बनने वाले राजकुमार की कहानी: 3 महीने पहले ही राजनीति जॉइन की, बोले- मिर्जापुर ने सिखाया निडर रहना-सवाल पूछना – Mirzapur News


मिर्जापुर जिले के भटेवरा गांव के राजकुमार मिश्रा प्राइमरी स्कूल में पढ़े। पढ़ाई में मन नहीं लगता था। स्कूल नहीं जाते तो टीचर पकड़ने आते। इंटर में पहुंचे, तब भी यही रवैया।

.

टीचर ने बोल दिया कि ये 12वीं के बाद पढ़ नहीं पाएगा। लेकिन राजकुमार एक अलग मिट्‌टी के बने थे। बीटेक किया। एमटेक करने लंदन पहुंच गए। एक करोड़ के सालाना पैकेज पर नौकरी मिली। 4 महीने पहले वहीं राजनीति जॉइन की। टाउन काउंसिल बने और अब वेलिंगबोरो के मेयर बन गए हैं। वेलिंगबोरो ब्रिटेन के ईस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र में स्थित है।

आज भी उनके पिता और भाई को भरोसा नहीं होता कि उसने ऐसी उपलब्धि हासिल कर ली कि पूरे देश में चर्चा हो रही। दैनिक भास्कर की टीम राजकुमार की कहानी जानने मिर्जापुर के गांव भटेवरा पहुंची। पिता से बात की। मां से उनके बेटे के बारे में जाना। भाई से उनकी बदमाशी के किस्से सुने। राजकुमार से बातचीत कर लंदन में पॉलिटिक्स जॉइन करने की कहानी सुनी। जो कुछ निकलकर आया, वह बेहद दिलचस्प है। पढ़ें राजकुमार मिश्रा के घर से ग्राउंड रिपोर्ट…

तस्वीर ब्रिटेन की है। वेलिंगबोरो का मेयर बनने के बाद राजकुमार मिश्रा का इस तरह से स्वागत किया गया।

तस्वीर ब्रिटेन की है। वेलिंगबोरो का मेयर बनने के बाद राजकुमार मिश्रा का इस तरह से स्वागत किया गया।

प्राइमरी स्कूल में नाम लिखाया, टीचर पकड़ने आते मिर्जापुर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर भटेवरा गांव है। इसी गांव में करीब एक बीघे में मुन्ना लाल मिश्रा का घर बना है। मुन्ना लाल के 8 बेटे और एक बेटी है। छठे नंबर के बेटे हैं 37 साल के राजकुमार मिश्रा। वह ब्रिटेन के ईस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र के वेलिंगबोरो शहर के मेयर बन गए हैं। हमने पिता मुन्ना लाल से पूछा, यह सब कैसे हुआ, कुछ जानकारी है? वह हाथ उठाकर कहते हैं सब प्रभु और विंध्याचल की देवी का आशीर्वाद है।

मिर्जापुर जिले के भटेवरा गांव में ये राजकुमार का घर है।

मिर्जापुर जिले के भटेवरा गांव में ये राजकुमार का घर है।

हमने राजकुमार के बचपन को लेकर बात शुरू की। मुन्ना लाल कहते हैं, हमारे सारे बच्चे गांव के ही प्राइमरी स्कूल में पढ़े। राजकुमार की सबसे ज्यादा शिकायत आती थी। उनके टीचर उन्हें खोजने आते थे। क्योंकि ये पढ़ाई-लिखाई कम करते थे और घूमते ज्यादा थे। इसके बाद जब आगे माल माधव इंटर कॉलेज में पढ़ने गए, तब भी यही सब चलता रहा। 12वीं का एडमिशन मिर्जापुर के गुरु नानक स्कूल में लिया, वहां भी ये बड़े अधिकारियों के बच्चों के साथ घूमते। टीचर कहते कि ये सिर्फ 12वीं तक की पढ़ाई के लिए ही है।

छोटे भाई ने कहा, शादी करके दूसरों को करने दीजिए मुन्ना लाल कहते हैं, राजकुमार ने चंडीगढ़ के पोजेवाल से बीटेक किया। इसके बाद उसने यूपी-बिहार के कई कॉलेज देखे। 2-4 दिन देखता लेकिन, समझ नहीं आता। हमसे आकर बोला कि अब हमको विदेश जाना है। हम ठहरे किसान आदमी, हमने कहा कि बेटा हमारे पास कहां इतना पैसा है कि हम विदेश भेज सकें। राजकुमार बोला, एक बार जैसे-तैसे कर दीजिए, इसके बाद आपको कुछ नहीं करना होगा, हम सब देख लेंगे। यह बात 2019 की है।

2020 में राजकुमार की शादी हुई थी। अब दो बेटियां हैं।

2020 में राजकुमार की शादी हुई थी। अब दो बेटियां हैं।

राजकुमार की उम्र 30 साल पार हो गई। उस वक्त तक उनकी शादी नहीं हुई थी। तब छोटे भाई डॉ. सर्वेश मिश्रा ने कहा, अब आप वहीं शादी कर लीजिए, कोई कुछ नहीं कहेगा। शादी करके हटेंगे तभी तो दूसरों का नंबर आएगा। राजकुमार ने वहां शादी नहीं की, बल्कि दिसंबर 2020 में प्रतापगढ़ की अभिषेकता मिश्रा से कानपुर में शादी की। इसके बाद अभिषेकता के साथ वह लंदन में ही बस गए। अभिषेकता ने भी वहीं नौकरी की शुरुआत कर दी। इस वक्त राज और अभिषेकता की दो बेटियां हैं।

बेटों के भविष्य के लिए पुश्तैनी गांव छोड़ना पड़ा मुन्ना लाल कहते हैं, हमारा पुश्तैनी गांव अकोढ़ी है, वह यहां से 2-3 किलोमीटर आगे है। वहां के लड़के नशे के लती हो गए थे, मुझे अपने बच्चों की चिंता हुई, 20-25 साल पहले हमने वह गांव छोड़ दिया और यहां आकर बस गए। 12वीं तक की पढ़ाई की थी, इसलिए पढ़ाई का महत्व पता था। अपने किसी भी लड़के को कभी राजनीति में जाने के लिए नहीं कहा। हमेशा कहा कि जहां भी रहना राजनीति से दूर रहना लेकिन राजकुमार राजनीति में गया और वहां मेयर बन गया।

पिता मुन्ना लाल बताते हैं कि बचपन में राजकुमार बहुत शरारती थे।

पिता मुन्ना लाल बताते हैं कि बचपन में राजकुमार बहुत शरारती थे।

इसके बाद हमारी मुलाकात राजकुमार के बड़े भाई सुनील मिश्रा से हुई। सुनील पेशे से वकील हैं। वह कहते हैं, 13 मई की सुबह-सुबह राजकुमार का फोन आया। उन्होंने बताया कि मेयर बन गए। यह सुना तो हम सभी का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दूसरे देश में वह इतने बड़े पद पर पहुंच गए, यह हम सबके लिए और पूरे देश के लिए गर्व की ही बात थी। बाकी यह सही है कि उनका मन पढ़ाई-लिखाई में कम लगता था, क्रिकेट खेलने में ज्यादा आगे थे।

1 करोड़ रुपए सालाना पैकेज पर नौकरी सुशील से हमने पूछा कि जिस वक्त राजकुमार ने राजनीति जॉइन की, उस वक्त उनकी सैलरी क्या थी? वह कहते हैं, 1 करोड़ के सालाना पैकेज पर वह नौकरी कर रहे थे। करीब 3 महीने पहले उन्होंने वहां लेबर पार्टी जॉइन की। हमें इसके बारे में बहुत जानकारी नहीं थी। 3 मई को वह टाउन काउंसिल का चुनाव जीत गए। फिर हमसे कहा कि अब मेयर का चुनाव लड़ेंगे, हमने उनसे कहा था कि टिकट ही नहीं मिलेगा, लेकिन देखिए, टिकट भी मिला और अच्छे वोट से जीत भी गए।

मां बोली- सब हमारे लड़के को नेता-नेता कहते थे हमारी मुलाकात राजकुमार की मां चंद्रकली मिश्रा से हुई। हमने उनसे कहा कि आपका बेटा मेयर बन गया है, मेयर जानती हैं क्या होता है? उन्होंने कहा, हमको इसके बारे में ज्यादा नहीं पता है, लेकिन जब से सुने हैं, बहुत अच्छा लग रहा। वह हमको रोज फोन करते हैं, हाल-चाल पूछते हैं, उनकी दोनों बेटियां वीडियो कॉल करती हैं। सब बहुत अच्छे से रहते हैं, यह सब बोलते वक्त उनकी आंखें नम हो गईं।

चंद्रकली कहती हैं, बचपन में राजकुमार का मन खेलने में ज्यादा लगता था। वह खेलने पड़ोस के गांव तक चले जाते थे, उनके बड़े भाई उन्हें वहां से बुलाने जाते थे। सब राजकुमार को नेता-नेता कहते। हम सबको मना करते कि ऐसा नहीं करना है। हमने कभी अपने बच्चों को नहीं पीटा, सबको बहुत दुलार से पाला है। हमने पूछा कि आपके बेटे मेयर बन गए, आप भी लंदन जाएंगी? वह कहती हैं, बेटा कहता है कि मम्मी-पापा यहां चले आओ, लेकिन जाएं कैसे, हमारे पैर में बहुत दर्द रहता है। बाकी अगर माता रानी चाहेंगी तो हम लंदन जाएंगे।

अब पढ़िए राजकुमार से भास्कर की सीधी बातचीत

सवाल 1- राजकुमार जी पढ़ाई और अपने बारे में बताइए? जवाब- 2016 में मैं यूके आ गया था। एडवांस कंप्यूटर साइंस में मास्टर किया और फिर मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस में काम किया। बैंकिंग सेक्टर में बहुत सारा काम किया। अब आईटी कंसल्टिंग में काम कर रहा हूं। 3 साल पहले मैं लंदन के वेलिंगबोरो शहर आया और फिर यहीं जम गया।

सवाल 2- लंदन में चुनाव लड़ना आसान नहीं है, किस रणनीति से जीत दर्ज की? जवाब- डेवलप देशों में आपको अपने क्षेत्र में कमियां दिख जाती हैं, लेकिन नुकसान यह भी है कि आप यहां बहुत काम नहीं कर सकते, क्योंकि सारा काम तो हो चुका होता है, हमने जो काम बचे थे उसे चिन्हित किया और घर-घर जाकर लोगों से समर्थन जुटाया। 3 मई को मैं टाउन काउंसलर बन गया। इसके बाद पार्टी ने मेयर प्रत्याशी बनाया, वहां कुल 23 वोट में 17 वोट हमें मिले और हम मेयर चुन लिए गए। अब काम करना शुरू कर दिया है।

सवाल 3- अपने शहर मिर्जापुर के बारे में क्या कहना चाहेंगे? जवाब- मिर्जापुर सवाल करना सिखाता है, गांव में अगर डीएम जाते हैं तो वहां बैठा व्यक्ति पूछ लेता है, का हो डीएम साहब हमारा यह काम कैसे होगा? लोग निडर हैं, यह सब मेरे काम आ रहा है।

सवाल 4- अपने देश कब आना है? क्या मिस करते हैं? जवाब- मिर्जापुर की फुल्की (पानीपुरी) मिस करता हूं, सितंबर में वापस मिर्जापुर आना है, वहां जाकर पहले फुल्की खाऊंगा। बाकी मुझे मिर्जापुर के लिए बहुत सारा काम करना है, वहां मैं डेवलपमेंट सेंटर बनाना चाहता हूं।

फिलहाल राजकुमार अपनी इस उपलब्धि से गर्व महसूस कर रहे हैं, उन्हें खुद भी विश्वास नहीं हो रहा कि वह दूसरे देश के एक शहर में मेयर बन गए हैं। परिवार के लोग भी खुश हैं। आसपास के गांव के लोग उनके परिजनों को बधाई देने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं।

———————-

ये खबर भी पढ़ें…

मायावती ने एक तीर से 4 निशाने लगाए:चंद्रशेखर और सपा-भाजपा के दलित एजेंडे को जवाब आकाश आनंद

बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर सबको चौंकाते हुए आकाश आनंद को पार्टी का चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर बना दिया है। यह पद अब तक बसपा में अस्तित्व में नहीं था। यानी मायावती ने उनके लिए विशेष रूप से यह पद बनाया। साथ ही साफ संकेत भी दे दिया कि ‘अब बसपा में भविष्य की कमान धीरे-धीरे युवा हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।’ पढ़ें पूरी खबर…



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *