Advocate Shrinath Tripathi will continue to be a member of India Bar Council Lawyers in Varanasi are overjoyed after Delhi HC granted stay | इंडिया बार-काउंसिल के मेंबर बनें रहेंगे अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी: दिल्ली HC से स्टे पर वाराणसी में वकील गदगद, सिब्बल की दलील पर अध्यक्ष को नोटिस-मांगा जवाब – Varanasi News
दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से स्टे के बाद श्रीनाथ त्रिपाठी बार काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य बने रहेंगे।
बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से हटाए गए को-चेयरमैन श्रीनाथ त्रिपाठी को दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दे दी। बीसीआई अध्यक्ष की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट गए वकील को विशेष खंडपीठ ने स्टे दे दिया। हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद वे बीसीआई के नेशनल टीम में मेंबर बने
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वही विद्वान अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलील के बाद हाईकोर्ट ने एक्शन के खिलाफ नोटिस जारी किया है। मामले में दूसरे पक्ष से सवाल पूछा है और चार सप्ताह में जवाब दायर करने का आदेश दिया है, वहीं उसके प्रतिउत्तर के लिए भी दो सप्ताह का समय तय किया है। इसके बाद अगली सुनवाई होगी।
बता दें कि पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान भाषण के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने श्री नाथ त्रिपाठी को को-चेयरमैन पद से हटा दिया था। विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए नेशनल काउंसिल से उनकी सदस्यता रद्द कर दी है। हाईकोर्ट ने पूरी कार्रवाई को ही गलत ठहरा दिया है।

अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीसीआई के आदेश को स्थगित कर दिया और बार कौंसिल आफ इंडिया के सदस्य पद पर पुनर्स्थापित हो गया हूं। कोर्ट में मेरी ओर से सांसद और विद्वान अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता को दलीलें पेश कीं। इसके बाद दायर याचिका पर सुनवाई की।
अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता को बताया कि भारत बार काउंसिल ने 28 अप्रैल 2025 को प्रस्ताव लाकर श्रीनाथ त्रिपाठी को भारत बार काउंसिल में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल (‘BCUP’) के सदस्य प्रतिनिधि के पद से हटा दिया गया। वर्ष 2019 में आयोजित चुनावों में सदस्य बने और BCI में BCUP के सदस्य प्रतिनिधि का पद ग्रहण किया।
BCI के नियमों एवं विनियमों के स्पष्ट उल्लंघन में पारित किया गया है। याचिकाकर्ता को हटाने का प्रयास असंगत एवं अप्रमाणित आरोपों के आधार पर किया गया है। इसके पहले भी जनवरी में ऐसा प्रयास किया गया लेकिन वह तर्कसंगत नहीं होने से स्थिर नहीं हो सका। जिसके बाद नए विषय पर गलत तरीके से कार्रवाई की गई।
कोर्ट ने इसके बाद नोटिस जारी करते हुए वकील को रिसीव कराया और चार सप्ताह की अवधि के भीतर उत्तर दायर किया जाए। स्पष्ट किया कि कोई प्रत्युत्तर दायर करना हो तो वह उसके दो सप्ताह के भीतर दायर किया जाए।

बार काउंसिल आफ इंडिया से श्री नाथ त्रिपाठी को पद से हटाने के बाद वाराणसी कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं ने विरोध जताया था।
कपिल सिब्बल ने बताई बार काउंसिल इंडिया की नियमावली
श्रीनाथ त्रिपाठी के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि 14 अगस्त 2020 की राजपत्र अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि BCI के पदाधिकारियों, BCI के सदस्यों तथा राज्य बार काउंसिलों के पदाधिकारियों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने के संबंध में सख्त नियम बने हैं। BCI के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव 2/3 सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
यदि कोई पदाधिकारी या सदस्य किसी नैतिक अधमता में दोषी पाया गया हो और उसे दंडित या किसी अवधि के लिए कारावास की सजा होने पर ही प्रस्ताव आएगा। कोई सदस्य बार काउंसिल द्वारा की गई किसी अनुशासनात्मक कार्यवाही में दोषी पाया गया हो तो भी अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है।
जिस पदाधिकारी या सदस्य BCI के विरुद्ध ऐसा अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तावित है, उसे कम से कम 30 दिन पूर्व सूचना देना आवश्यक होगा। ‘अविश्वास प्रस्ताव’ के आधारों और कारणों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना अनिवार्य है। साथ ही, प्रस्ताव के समर्थन में साक्ष्य/सामग्री भी संलग्न की जानी चाहिए।
BCI को प्रस्ताव के पक्ष में प्रथम दृष्टया मामला प्रतीत होता है, तो ऐसी स्थिति में एक जांच भारत के सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश द्वारा की जानी आवश्यक है। जांच की प्रक्रिया के दौरान संबंधित पदाधिकारी या सदस्य को सुनवाई का अवसर देना आवश्यक है।