Parliament Sengol Controversy; SP RK Chaudhary Vs BJP | Rahul Gandhi | सेंगोल-संविधान के नाम पर भाजपा को घेर रही सपा: कहा- देश राजा के डंडे से नहीं चलेगा; क्या यह राहुल गांधी से मुद्दा झटकने की तैयारी? – Uttar Pradesh News
समाजवादी पार्टी ने संसद भवन से सेंगोल हटाकर उसकी जगह संविधान की कॉपी रखने की मांग फिर उठाई है। सपा सांसद आरके चौधरी ने इसके खिलाफ बाकायदा अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब सपा ने सेंगोल का विरोध किया है।
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सपा सांसद आरके चौधरी पहले भी ये मुद्दा उठाते रहे हैं। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि संसद में स्थापना के 2 साल बाद इसे लेकर अब क्यों विवाद छिड़ा? समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को फिर क्यों उठा रही? क्या समाजवादी पार्टी चुनावी फायदे के लिए ऐसा कर रही है? इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं…

सपा सांसद आरके चौधरी का कहना है कि सेंगोल की स्थापना पूरी तरह से असंवैधानिक है।
पहले जानते हैं सपा अभियान के तहत क्या कर रही? भारतीय संसद में सेंगोल की स्थापना 28 मई, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसे नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया गया है। 28 मई, 2025 को इसके 2 साल पूरे होने पर समाजवादी पार्टी ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब दिल्ली में सेमिनार किया। सेंगोल हटाकर संविधान की कॉपी रखने की मांग सपा ने फिर उठाई।
सपा ने बाकायदा इसके विरोध में अभियान शुरू कर दिया। इस अभियान को सपा सांसद आरके चौधरी लीड कर रहे हैं। आरके चौधरी सेंगोल को भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं।
आरके चौधरी कहते हैं- पहले दिल्ली के आसपास के राज्यों में इसे लेकर सेमिनार होगा। इसके बाद यूपी के लखनऊ, मेरठ, कानपुर, इलाहाबाद, फैजाबाद मंडल मुख्यालय पर सेमिनार करेंगे। तीसरे चरण में यूपी के 20 जिलों में इस मुद्दे को लेकर जाएंगे। जनता को बताएंगे कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा-रजवाड़े का राजमहल नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो इसके लिए हम धरना-प्रदर्शन के लिए भी तैयार हैं। सेंगोल की स्थापना पूरी तरह से असंवैधानिक है। देश संविधान से चलेगा, न कि राजा के डंडे से।
सपा क्यों उठा रही सेंगोल का मुद्दा, क्या हैं राजनीतिक मायने? राजनीतिक विश्लेषक और लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रविकांत से हमने इस मसले पर बात की। वह कहते हैं- सपा सेंगोल के बहाने संविधान के मुद्दे को उठाना चाहती है। इसका फायदा सपा और कांग्रेस गठबंधन को 2024 चुनाव में मिला था। संविधान और जातीय जनगणना दोनों मुद्दों को राहुल गांधी ने पकड़ लिया है।
ऐसे में अब सपा सेंगोल के बहाने संविधान के मुद्दे को उठाकर केंद्र सरकार को हिट करना चाहती है। इसीलिए उसने अब ये मुद्दा उठाया है। इसमें नफा नुकसान की बात नहीं, बल्कि इससे एक नरेटिव सेट होगा कि सेंगोल संविधान के खिलाफ है और सपा उसका विरोध कर रही है।

वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम कहते हैं- सेंगोल का उपयोग आखिरी बार मुगल काल में देखा गया था। यह राजशाही का प्रतीक है। आधुनिक लोकतंत्र में संविधान ही सर्वोच्च है। सेंगोल जैसे प्रतीकों की प्रासंगिकता संदिग्ध है। आरके चौधरी ने जो मुद्दा उठाया है, वो लाभ-हानि का नहीं, बल्कि नरेटिव सेट करने का है।

संसद में क्यों नहीं किया विरोध? सेंगोल की स्थापना के 2 साल बाद सपा मुद्दा क्यों उठा रही है? इसे लेकर एनडीए में शामिल अपना दल की मिर्जापुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सवाल उठाया। अनुप्रिया पटेल का कहना है कि सपा अब इस मामले को क्यों उठा रही है?

इसके जवाब में सपा प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं- सेंगोल को लेकर हमारी पार्टी पहले दिन से विरोध कर रही है। मुद्दे बहुत सारे होते हैं, उनमें कुछ पीछे रह जाते हैं और कुछ चर्चा का विषय रहते हैं। यह मुद्दा पीछे रह गया था, इसलिए सपा ने इसे दोबारा उठाया है। सेंगोल स्थापना की वर्षगांठ के मौके पर पार्टी ने अभियान छेड़ा है, जिसे आगे लेकर जाया जाएगा।
मनोज यादव का कहना है कि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। भारत लोकतंत्र से चलेगा, न कि सेंगोल से। जहां तक फायदे और नुकसान की बात है, तो समाजवादी पार्टी इसके लिए काम नहीं करती। हम लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास करते हैं। पार्टी संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए हर मुद्दे की लड़ाई पहले भी लड़ती रही है और आगे भी लड़ेगी।

आखिर में जानिए सेंगोल क्या है? सेंगोल 5 फीट लंबी और 2 इंच मोटी एक ऐतिहासिक महत्व वाली छड़ी है। सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘राजदंड’ या ‘राजा की छड़ी’। यह तमिल के शब्द सेम्मई से लिया गया है, जो न्याय और निष्पक्ष शासन का प्रतीक माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से चोल राजवंश के समय सेंगोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था।
14 अगस्त, 1947 को जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली, तब तमिलनाडु के तिरुवावटुतुरै अधीनम मठ के पुजारियों ने लॉर्ड माउंटबेटन से सेंगोल लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था। यह सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था। सेंगोल को चेन्नई के सुनार वुमुदी बंगारू चेट्टी ने बनाया था।
संसद में रखे सेंगोल पर सोने की परत चढ़ाई गई है। अगले हिस्से पर भगवान शिव के नंदी विराजमान हैं, जिन्हें न्याय का प्रतीक माना जाता है। सेंगोल के बाकी हिस्से पर गेहूं और चावल के दाने जैसे चित्र उकेरे गए हैं। ये खेती और समृद्धि को दर्शाते हैं।

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