Varanasi News Shikha from Varanasi got selected in NCOE Sonipat | वाराणसी की शिखा का NCOE सोनीपत में हुआ चयन: रोजाना 35 किलोमीटर साईकिल से आकर लालपुर स्टेडियम में करती थी प्रैक्टिस, वॉक रेस की चैंपियन – Varanasi News
वाराणसी की वॉक रेसर शिखा यादव का NCOE सोनीपत में हुआ चयन।
वाराणसी के अजगरा की रहने वाले एथलीट शिखा यादव का स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस(NCOE) सोनीपत के लिए हुआ है। शिखा ने 5 महीने पहले ही उड़ीसा के भुवनेश्वर स्थित कलिंगा स्टेडियम में चल रही 39वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स स्पर्धा में
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शिखा के चयन पर उनके कोच चंद्रभान यादव मंटू, लालपुर स्टेडियम एक एथलीट कोच डॉ मंजूर आलम और आरएसओ डॉ विमला सिंह ने उन्हें और उनके परिवार को बधाई के साथ शुभकामनाएं दी है। विश्व एथलेटिक्स दिवस के एक दिन पहले इस उपलब्धि की सूचना पर शिखा के गांव पर भी हर्ष का माहौल है।
परिवार और कोच की मेहनत हुई सफल अजगरा के धर्मापुर निवासी शिखा यादव ने बताया- यह मुझसे ज्यादा मेरे परिवार और कोच की सफलता है। मेरा परिवार यदि शुरू में मुझे वाराणसी आने की अनुमति नहीं देता तो यह सम्भव नहीं होता। पहले मई रोजाना सुबह और शाम 35 किलोमीटर साईकिल चलाकर अजगरा से वाराणसी लालपुर स्टेडियम प्रैक्टिस के लिए आती थी। कोच चंद्रभान जी के कहने पर यहां अकेले रूम लेकर रहना शुरू किया और आज उसी मेहनत का फल मुझे मिला है। मेरा लक्ष्य ओलिंपिक में मेडल लाना है।
कोच ने की तारीफ, कहा- कुछ कर दिखाने का जज्बा कोच चंद्रभान यादव ने बताया- शिखा शुरू से ही मेहनती है। उसके अंदर लक्ष्य को पाने का एक जूनून सा है। वह हमेशा इस बारे में सोचती है कि उसे स्वर्ण पदक जीतना है। उसने कभी सेकेण्ड या थर्ड प्लेस के लिए नहीं सोचा। यही सोच उसे आगे ले जा रही है। उसे सोनीपत के लिए चयनित किया गया है। उम्मीद है वह काफी अच्छा करेगी और देश, प्रदेश और काशी का नाम रोशन करेगी।
अब जानिए कौन है शिखा जिसने डेंगू से बीमार होने के बाद बना लिया था ट्रैक छोड़ने का मन…
शिखा अजगरा के धर्मपुर गांव की रहने वाली हैं। वहां के एक इंटर कलज की स्टूडेंट थी। वहां के अध्यापक प्रेमशंकर तिवारी ने मुझसे दौड़ने के लिए कहा और फिर गांव में ही बने हुए 200 मीटर ग्राउंड पर रेस वॉक की प्रेक्टिस शुरू करवा दी। इसपर वहां के अध्यापक ने चंद्रभान यादव को जिसपर वो राजी हो गए और फिर मैंने 35 किलोमीटर दूर अपने घर से स्टेडियम आना शुरू कर दिया।
तीन साल से कर रही प्रैक्टिस शिखा ने बताया- मुझे तीन साल हुए रेस वॉक की प्रतियोगिता खेलते हुए और प्रैक्टिस करते हुए। चंद्रभान सर ने जब देखा कि मै 35 किलोमीटर साईकिल से आती हूं तो उन्होंने यहां रूम लेने के लिए कहा। पर उस वक्त मेरे पास पैसे नहीं थे। जिसपर मै करीब साल भर साईकिल से आयी और उसके बाद यहां रूम रेंट पर लिया। अब रोजाना सुबह और शाम प्रैक्टिस कर रही हूं।
डेंगू ने तोड़ दिया था हौसला शिखा ने कहा- मै साल 2023 में 38वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की तैयारी कर रही थी। इस दौरान अचानक से मुझे फीवर आने लगा। कभी सुबह तो कभी रात में फीवर रहने लगा। इसपर मैंने चेक करवाया तो मुझे डेंगू हो गया था। इसपर मै गांव चली गई और वहीं इलाज होने लगा। एक दिन तबियत खराब हुई ज्यादा तो घरवालों से एडमिट करवाया था। इस दौरान प्लेटलेट्स लगातार घट रहा था और मेरे दिल में प्रतियोगिता में कैसे पदक जीतना था उसकी तैयारी चल रही है।
डॉक्टर ने डेंगू बताया तो टूट गया हौसला शिखा ने बताया- डॉक्टर ने डेंगू डिक्लियर किया तो मैंने उससे सबसे पहले पूछा की ठीक कब तक हो जाऊंगी। तो उसने कहा ठीक होने के दो महीने तक कमजोरी रहगी बहुत प्रैक्टिस नहीं करना है। इस बात से मनोबल टूट गया। ऐसे में मेरे पिता उमाशंकर मिश्रा ने हमेशा साथ दिया और मुझे हौसला देते रहे कोई नहीं सही होकर फिर ठीक हो जाओगी और अब मै बिलकुल फिट हूं।
पिता के हौसले से जीता 39वीं नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण शिखा ने बताया – जब 38वीं नेशनल प्रतियोगिता में नहीं जा सकी तो मेरे घर वाले परेशान हुए और मुझे हौसला दिया क्योंकि मै पूरे दिन गुमसुम रहती थी और पिता जी माता जी से मैच छोड़ने का मन बना लिया था। लेकिन पिता और माता ने मुझे हौसला दिया और 39वीं प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया।
जानिए क्या है स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया का NCOE ओलिंपिक और अनु इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के अपने प्रयास में, भारतीय खेल प्राधिकरण ने देश भर में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की है। इसमें देश भर के सेलेक्टेड होनहार खिलाड़ियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और खेल सुविधाएं, खेल विज्ञान बैकअप, प्रशिक्षित पोषण विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित व्यक्तिगत भोजन और बेस्ट कोच, योग्य सहायक कर्मचारियों और इंटरनेशनल एक्पसर्ट की देखरेख में उन्हें तैयार किया जाता है।