Congressmen have also been raising questions on the decision of the high command | आलाकमान के फैसले पर भी सवाल उठाते रहे हैं कांग्रेसी: गोरखपुर में दिखती रही है गुटबाजी; खुलकर जताते रहे हैं विरोध – Gorakhpur News



कांग्रेस पार्टी की जोनल समीक्षा बैठक में रविवार को मारपीट के बाद अफरा-तफरी मच गई। फाइल फोटो

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी पांव जमाने के लिए जद्दोजहद कर रही है। लेकिन गोरखपुर में आए दिन विरोध के स्वर गूंजते रहते हैं। यहां के कांग्रेसी कभी भी कार्यकारिणी से संतुष्ट नजर नहीं आए। गुटबाजी यहां आम बात है। आलाकमान की ओर से भी जो फैसले किए जाते

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वर्तमान महानगर अध्यक्ष का लखनऊ तक हुआ विरोध संगठन को मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस के आलाकमान ने इस बार पुराने कांग्रेसी और गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री राजेश तिवारी को जिलाध्यक्ष बनाया। जिला पंचायत सदस्य रवि प्रताप निषाद को महानगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। राजेश का तो खुलकर विरोध नहीं हुआ लेकिन रवि के विरोध में यूथ कांग्रेस से लेकर पुराने कांग्रेसी तक आ गए। वरिष्ठ पदाधिकारियों के आने पर ज्ञापन दिया गया। कई कांग्रेसियों ने लखनऊ पहुंचकर इस्तीफा देने की चेतावनी भी दी। खुलकर विरोध जताया लेकिन आलाकमान ने अपना फैसला नहीं बदला। फिलहाल खुलकर कोई विरोध नहीं हो रहा है। जिला व महानगर कमेटी की सूची पर भी विवाद जब जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्ष ने अपनी टीम बनाई तो उसपर भी सवाल खड़े किए गए। आरोप है कि जिले की टीम में 23 से 24 ऐसे लोग हैं, जो महानगर में निवास करते हैं। यानी निवास स्थान महानगर होने के कारण उन्हें जिले में पदाधिकारी नहीं बनाया जा सकता। इसी तरह महानगर की सूची में कई ऐसे लोग हैं, जिनके कार्यक्षेत्र महानगर से बाहर हैं। पूर्व जिलाध्यक्ष से भी हो चुकी है तकरार पूर्व जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान की भी वर्तमान जिलाध्यक्ष से तकरार हो चुकी है। जब उन्हें पद से हटाया गया तो वह अकेले ही चलने लगीं। कई धरना-प्रदर्शन ऐसे किए गए, जिसमें जिलाध्यक्ष को जानकारी ही नहीं थी। प्रदर्शन का स्थान और समय कुछ और निर्धारित था और कुछ कांग्रेसियों ने कहीं और कर दिया।

भाजपा से लड़ना है और एकजुटता ही नहीं बना पा रहे

मजबूत संगठन बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी काम कर रही है। इसी उद्देश्य से रविवार को महानगर के सत्यम लान में 12 जिलों की जोनल समीक्षा बैठक व कार्यशाला आयोजित थी। लेकिन यहां भी विरोध नजर आया। कांग्रेस जिस भाजपा से लड़ने के लिए तैयार हो रही है, वह अपने मजबूत संगठन के लिए जानी जाती है। वहां ऊपर से जो फैसले ले लिए जाते हैं, उसपर खुलकर कोई सवाल उठाने वाला नहीं होता है। ऐसे में कांग्रेस के सामने पहली चुनौती अपनी पार्टी में अनुशासन बनाने की है।



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