Cheaper flats have concrete floors, not tiles | सस्ते फ्लैटों में पक्की फर्श है, टाइल नहीं: दीवार के ऊपर से की गई है वायरिंग, बालकनी भी नहीं – Gorakhpur News



यह एलआईजी फ्लैट की बिल्डिंग है। इसमें 80 फ्लैट बनाए गए हैं, जिनमें से 70 के लिए आवेदन निकाला गया है।

गोरखपुर में जिन सस्ते फ्लैटों का लोग इंतजार कर रहे थे, उनकी बुकिंग शुरू हो गई है। बुकिंग कराने जा रहे हैं तो उसके बारे में जान लेना भी जरूरी है। पॉम पैराडाइज योजना में बनाए गए ये फ्लैट 10 साल पहले तक बनने वाले घरों की तरह नजर आएंगे। इनमें पक्की फर्श

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सस्ते फ्लैटों को लेकर लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। 5 लाख 40 हजार में ईडब्ल्यूएस व 10 लाख 80 हजार में एलआईजी फ्लैट बनाए गए हैं। इन फ्लैटों में क्या सुविधाएं हैं, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम वहां पहुंची थी। फ्लैट के अंदर भी जाकर देखा। यह तय है कि फ्लैट में जाने के बाद आवंटी को कुछ और काम कराने पड़ सकते हैं।

पहले जानिए कितने फ्लैटों के लिए लॉटरी निकली है

देवरिया बाईपास रोड पर चिड़ियाघर से आगे बढ़ने पर पॉम पैराडाइज योजना है। इसी में आरपीएम स्कूल के पीछे ईडब्ल्यूएस व एलआईजी फ्लैट बनाए गए हैं। दोनों की संख्या 80-80 है। लेकिन खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना में जमीन देने वाले लोगों के लिए 40 फ्लैट आरक्षित किए गए हैं। इनमें 10 एलआईजी व 30 ईडब्ल्यूएस फ्लैट शामिल हैं। इस तरह से ईडब्ल्यूएस के 50 व एलआईजी के 70 फ्लैटों (कुल-120) के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। 14 अगस्त तक जनहित पोर्टल पर आनलाइन आवेदन किया जा सकता है।

अब जानिए यहां के विकास की स्थिति पॉम पैराडाइज में ये फ्लैट पीछे की ओर बनाए गए हैं। इसमें जाने के लिए रास्ता भी अलग है। जो मुख्य कालोनी के बिल्कुल बगल से जाता है। यहां छोटे-छोटे दो तिकोने पार्क की जगह नजर आती है। एक ओर श्रमिकों के रहने के लिए क्वार्टर बनाए गए हैं। अभी उनके ये क्वार्टर लंबे समय तक रहेंगे, क्योंकि पॉम पैराडाइज में काम चल रहा है। ईडब्ल्यूएस व एलआईजी के दूसरे चरण में भी निर्माण कार्य फिर शुरू होने पर सहमति बन गई है।

अब फ्लैटों की स्थिति जान लेते हैं ईडब्ल्यूएस व एलआईजी फ्लैटों की कालोनी में जाने पर सबसे पहले एलआईजी फ्लैट की बिल्डिंग नजर आएगी। 8 मंजिला इस बिल्डिंग में दो लिफ्ट लगी है। जब इसमें प्रवेश करते हैं तो एक प्राइवेट हास्टल सा अनुभव होता है। बीच में लगभग 4 से 5 फीट चौड़ी गैलरी है और उसके दोनों ओर फ्लैट बने हैं। फ्लैट के अंदर जाते ही पहले डाइनिंग हाल पड़ेगा। इसकी साइज अच्छी-खासी है। इससे लगा एक बेडरूम है। बेडरूम की साइज भी मानक के अनुरूप लगी। एलआईजी फ्लैट के बाथरूम व टायलेट की साइज भी उचित है। सरकारी कालोनी की तरह इसमें खिड़ियों में लोहे के फ्रेम लगे हैं। इसके किचन में फ्रिज तो रख सकेंगे लेकिन वाशिंग मशीन के लिए जगह तलाशने में मेहनत करनी होगी। फर्श पक्के बनाए गए हैं। इनमें टाइल नहीं है। दीवारों पर खुरदुरापन यह बताता है कि पुट्‌टी नहीं लगी है। आमतौर पर अब नए बनने वाले किस घर में वारिंग दीवार के ऊपर नहीं दिखती लेकिन इन फ्लैटों में वायरिंग ऊपर से की गई है। एलआईजी फ्लैट लगभग 430 वर्ग फीट में हैं लेकिन इसमें भी बालकनी की कमी दिखती है। यही हाल ईडब्ल्यूएस फ्लैटों का है, उसमें किचन, बाथरूम, टायलेट की साइज छोटी है। कामन स्पेस में की गई कंजूसी यह कहा जा सकता है कि कामन स्पेस में कंजूसी की गई है। इस भवन में अंदर प्रवेश करने पर खुला-खुला नजर नहीं आएगा। कपड़े सुखाने हैं तो छत पर जाने की मजबूरी होगी। बालकनी दी गई होती तो सुविधा होती है। अन्य ईडब्ल्यूएस व एलआईजी से तुलना देखें

मानबेला में बनाया गया प्रधानमंत्री आवास 2 लाख रुपये में आवंटियों को मिला है। 2.5 लाख रुपये प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत छूट मिली है। लेकिन इस कालोनी में खुलापन है। फ्लैट भी छोटे हैं लेकिन बेहतर बनाए गए हैं। आधुनिक लगते हैं। फर्श में टाइल्स लगी है। गार्डेनिया के पास बने यशोधरा कुंज कालोनी की स्थिति भी बेहतर है। यहां भी खुलापन नजर आता है और कामन स्पेस भी उपलब्ध है। खोराबार में बन रहे ईडब्ल्यूएस व एलआईजी भवन भी इससे अच्छे नजर आ रहे हैं।



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