Auto-taxi rules put on hold in Lucknow, Lucknow, Uttar Pradesh , Politechnic | लखनऊ के ड्राइवरों को पता नहीं आधार कार्ड लगाना है: अवैध रूप से दौड़ रहे 1 लाख से ज्यादा टैक्सी-ई-रिक्शा; महिलाएं असुरक्षित – Lucknow News


राजधानी लखनऊ में महिला के साथ ऑटो चालक ने रेप करके हत्या कर दी। इसके कुछ दिन बाद चालक और उसके साथियों से इज्जत बचाने के लिए एक छात्रा चलते ई-रिक्शा से कूद गई। एक अन्य मामले में आउटिंग पर निकली महिला को अगवा करके ई-रिक्शा चालक ने रेप किया।

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इन सभी घटनाओं के बाद परिवहन विभाग ने जून में महिला सुरक्षा को लेकर एक योजना तैयार की। महिलाओं की सुरक्षा-व्यवस्था और मजबूत करने के लिए ऑटो, ई-रिक्शा, ओला-उबर आदि टैक्सियों में वाहन चालकों का नाम, आधार और मोबाइल नंबर साफ-साफ बड़े अक्षरों में लिखवाने का आदेश जारी किया।

इसके लिए 31 जुलाई डेडलाइन तय की गई है, लेकिन यह योजना पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई। अब भी 1 लाख से ज्यादा ऑटो, ई-रिक्शा, ओला-उबर और अन्य टैक्सियां बिना इस नियम का पालन किए अवैध रूप से सड़कों पर दौड़ रही हैं। ऐसा क्यों हो रहा है?

यह जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम पॉलिटेक्निक, कमता, निशातगंज जैसे भीड़भाड़ और ट्रैफिक से भरे चौराहों पर रियलिटी चेक किया। टैक्सी चालकों और अधिकारियों से बातचीत की, तो चौंकाने वाली जानकारी मिली। ज्यादातर चालकों ने बताया कि उन्हें परिवहन विभाग के इस आदेश की जानकारी ही नहीं है।

यानी कि परिवहन विभाग ने कागजों में तो आदेश और उसकी डेडलाइन जारी कर दी, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं किया। इसकी वजह से आज भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पहले देखिए बिना नाम-नंबर दर्ज किए गए ऑटो-ई-रिक्शा की 3 तस्वीरें…

लखनऊ में परिवहन विभाग के नए नियम का पालन नहीं हो रहा है।

लखनऊ में परिवहन विभाग के नए नियम का पालन नहीं हो रहा है।

परिवहन विभाग का डेडलाइन समाप्त होने के बावजूद सड़कों पर बिना नाम, आधार और मोबाइल नंबर लिखे ऑटो, ई-रिक्शा, कैब और टैक्सियां चल रही हैं।

परिवहन विभाग का डेडलाइन समाप्त होने के बावजूद सड़कों पर बिना नाम, आधार और मोबाइल नंबर लिखे ऑटो, ई-रिक्शा, कैब और टैक्सियां चल रही हैं।

नए नियम का पालन न होने में परिवहन विभाग की लापरवाही है। चालकों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं दी गई।

नए नियम का पालन न होने में परिवहन विभाग की लापरवाही है। चालकों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं दी गई।

पहले पढ़िए यह नियम क्यों बना और यह कितना अहम है?

यह नियम ऐसे समय में लाया गया, जब हाल के महीनों में लखनऊ और आसपास के जिलों में ऑटो और ई-रिक्शा में महिलाओं के साथ रेप, हत्या, छेड़छाड़, अभद्रता और लूटपाट की कई घटनाएं हुईं।

इन मामलों में पीड़ित महिलाओं के पास वाहन की सही पहचान करने का कोई साधन नहीं था, जिससे पुलिस जांच में देरी हुई। इस योजना के तहत चालकों का विवरण लिखा होने से अपराध की स्थिति में उनकी पहचान करना आसान होगा।

तीन प्रमुख चौराहों पर जो दिखा वो पढ़िए…

पॉलिटेक्निक चौराहा: यहां सुबह 9 से 10 बजे के बीच करीब 25 ऑटो और 12 ई-रिक्शा खड़े थे। इनमें से सिर्फ 2 ऑटो के पीछे ड्राइवर का नाम लिखा था, लेकिन मोबाइल नंबर और आधार नंबर कहीं नहीं था। ऑटो चालक फौजी लाल ने साफ कहा, “हमें इस आदेश की कोई जानकारी नहीं दी गई है। हमें पता होता, तो हम नाम और नंबर जरूर लिखवाते।”

ऑटो चालक फौजी लाल ने कहा कि इस नियम की मुझे जानकारी ही नहीं है।

ऑटो चालक फौजी लाल ने कहा कि इस नियम की मुझे जानकारी ही नहीं है।

कमता चौराहा: यहां ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े करीब 18 ऑटो और टैक्सियों में एक भी वाहन पर पूरी जानकारी नहीं लिखी थी। मोहम्मद आहत, जो पिछले चार साल से ऑटो चला रहे हैं, उन्होंने बताया कि, “न ट्रैफिक पुलिस और न ही परिवहन विभाग ने हमें कुछ बताया। आदेश का नोटिस हमें कभी नहीं मिला।”

कमता चौराहे पर खड़े ऑटो ड्राइवर मोहम्मद आहत ने कहा कि इस नियम की जानकारी नहीं है। सब लोग लिखवाएं तो मैं भी लिखवा लूंगा।

कमता चौराहे पर खड़े ऑटो ड्राइवर मोहम्मद आहत ने कहा कि इस नियम की जानकारी नहीं है। सब लोग लिखवाएं तो मैं भी लिखवा लूंगा।

निशातगंज: यहां सुबह 11 से दोपहर 12 बजे के बीच देखे गए 20 ई-रिक्शा और 15 ऑटो में से किसी में भी नाम, आधार और मोबाइल नंबर नहीं लिखा था। ऑटो चालक फरीद ने कहा, “जब हमें पता ही नहीं है, तो हम कैसे लिखें? किसी ने इस बारे में जागरूक नहीं किया।”

ऑटो ड्राइवर फरीद ने कहा कि नए आदेश जारी करने से पहले इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। सीधे कार्रवाई करना उचित नहीं होगा।

ऑटो ड्राइवर फरीद ने कहा कि नए आदेश जारी करने से पहले इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। सीधे कार्रवाई करना उचित नहीं होगा।

आदेश बना, लेकिन सिर्फ कागजों में

कागज पर आदेश जारी हुआ, समय-सीमा तय हुई, लेकिन धरातल पर तस्वीर जस की तस है। न ड्राइवर जागरूक हैं, न विभाग सख्त है। इस स्थिति में महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर बने नियम सिर्फ सरकारी फाइलों में कैद होकर रह जाते हैं। अगर परिवहन विभाग ने समय पर अभियान चलाया होता, तो आज राजधानी की सड़कों पर ऑटो-टैक्सियों पर ड्राइवर की पहचान स्पष्ट लिखी दिखती।

अब पढ़िए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने जो कहा…

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने माना कि यह आदेश परिवहन मंत्री के निर्देश पर लागू किया गया था। उन्होंने कहा, “प्रदेश का आकार बड़ा है और इसमें अलग-अलग इलाकों में काम की गति अलग-अलग होती है।

कई जिलों से पालन होने की रिपोर्ट हमें मिल चुकी है, लेकिन किसी नए नियम को पूरी तरह लागू होने में समय लगता है। लखनऊ में शायद यही वजह है कि यह अभी पूरी तरह लागू नहीं हुआ।”

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कहा कि आदेश लागू हो गया है। परिवहन विभाग इस पर काम कर रहा है।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कहा कि आदेश लागू हो गया है। परिवहन विभाग इस पर काम कर रहा है।

पढ़िए परिवहन विभाग के जिम्मेदार ने जो कहा…

लखनऊ के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) संजय तिवारी ने कहा-

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इस मामले में विभाग सक्रिय रूप से कदम उठाएगा। हमने आदेश की अनदेखी करने वाले चालकों के खिलाफ अभियान चलाने की योजना बनाई है। आने वाले दिनों में शहर के सभी प्रमुख स्थानों पर टीम उतारी जाएगी और जिन वाहनों पर नाम, आधार और मोबाइल नंबर नहीं लिखा होगा, उनके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना और अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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