UGC team arrived to resolve the dispute between BHU and PHD | BHU-PHD में विवाद का निस्तारण करने पहुंची UGC की टीम: 5 घंटे तक शिक्षकों-छात्रों से किया सवाल,जल्द ही जारी होगा फाइनल रिपोर्ट – Varanasi News


काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जुलाई 2024 सत्र के शोध प्रवेश को लेकर उठे विवाद और धांधली के निस्तारण के लिए UGC द्वारा गठित जांच समिति ने विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में लंबी बैठक की। प्रोफेसर आनंद भालेराव की अध्यक्षता वाली इस समिति ने हिंदी वि

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अध्यापकों से भी पूछे गये प्रश्न

समिति ने केवल छात्रों से ही नहीं, बल्कि प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहे शिक्षकों और अधिकारियों से भी जवाब मांगा। इसी क्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष और शिक्षा संकाय की डीन को भी केंद्रीय कार्यालय में बुलाया गया। समिति का उद्देश्य छात्रों द्वारा लगाए गए आरोपों और प्रस्तुत आपत्तियों की गहन पड़ताल करना और तथ्यों को स्पष्ट करना है।

छात्रों ने रखी अपनी आपत्तियाँ

जुलाई 2024 में आयोजित शोध प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए छात्रों ने लंबे समय से आंदोलन का रास्ता अपनाया हुआ है। हिंदी विभाग के शोधार्थी अभ्यर्थी भाष्करादित्य त्रिपाठी, जो 17 दिनों से कुलपति आवास पर धरना दे रहे थे, समिति के सामने पेश हुए और लगभग डेढ़ घंटे तक विस्तार से अपनी शिकायतें रखीं। उन्होंने आरोप लगाया कि विभागीय स्तर पर चयन प्रक्रिया में पक्षपात हुआ और पात्र छात्रों की उपेक्षा कर मनमाने तरीके से सूची तैयार की गई।

इसी तरह जॉय दीप और मदन गोपाल जैसे अन्य छात्रों ने भी समिति के समक्ष अपने तर्क रखे और दस्तावेज़ प्रस्तुत किए। उनका कहना था कि पारदर्शिता के नाम पर मात्र औपचारिकताएँ निभाई गईं, जबकि वास्तविक चयन में ‘मर्ज़ी और प्रभाव’ ने बड़ी भूमिका निभाई।

ये उस समय की तस्वीर है जब स्टूडेंट्स पीएचडी प्रवेश धांधली का विरोध कर रहे थे।

ये उस समय की तस्वीर है जब स्टूडेंट्स पीएचडी प्रवेश धांधली का विरोध कर रहे थे।

कुछ छात्र रहे अनुपस्थित

समिति की ओर से बुलाए जाने के बावजूद धरनारत छात्रा अर्चिता सिंह और शिक्षा संकाय के अभ्यर्थी मनोज साहू उपस्थित नहीं हुए। समिति ने उनकी अनुपस्थिति को संज्ञान में लिया और संकेत दिया कि यदि वे आगे भी स्पष्टीकरण से बचते हैं तो उनके दावों को कमजोर माना जा सकता है।

आंदोलन और समिति की भूमिका

BHU में शोध प्रवेश विवाद पिछले कई महीनों से छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच टकराव का कारण बना हुआ है। हिंदी विभाग के छात्रों ने कुलपति आवास पर धरना देकर इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया था। सोशल मीडिया और स्थानीय छात्र संगठनों ने भी इस मामले को जोर-शोर से उठाया। अंततः UGC ने हस्तक्षेप करते हुए जांच समिति गठित की और 28 अप्रैल 2025 को इस संबंध में आदेश जारी किया।

18 अगस्त को हुई बैठक से छात्रों में यह उम्मीद जगी है कि लंबे संघर्ष के बाद अब न्याय की संभावना बढ़ी है। हालांकि समिति की ओर से अभी किसी निष्कर्ष की घोषणा नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार समिति सभी अभ्यर्थियों के बयान, विभागीय अभिलेख और प्रवेश प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज़ों का अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।



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